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पहल: स्कूली बच्चों ने मध्याह्न भोजन के पैसे जोड़कर गैंडे के बच्चों को दूध पिलाने को दिए

locationगुवाहाटीPublished: Nov 30, 2019 06:19:56 pm

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में अनाथ हुए आठ गैंडे के बच्चों को दूध पिलाने के लिए दान दिया

पहल: स्कूली बच्चों ने मध्याह्न भोजन के पैसे बचा गैंडे के बच्चों को दूध पिलाने को दिए

पहल: स्कूली बच्चों ने मध्याह्न भोजन के पैसे बचा गैंडे के बच्चों को दूध पिलाने को दिए

राजीव कुमार/ गुवाहाटी . असम के छोटे स्कूली बच्चे एक मिशन पर हैं। वे एक सींगी गैंडे के बच्चों को बचाने के लिए अपना योगदान कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने स्कूली मध्याह्न भोजन को न कर उसके पैसे से गैंडे को दूध पिलाने का अभियान चलाया।

 

असम के गोलाघाट जिले के बोकाखात के नेपाली खुटी बनुवा प्राथमिक विद्य़ालय के विद्यार्थियों ने अपना मध्याह्न भोजन न कर उस पैसे से गैंडे के बच्चे को दूध पिलाया। विद्यार्थियों ने मध्याह्न भोजन से मिले पैसे को इस साल की बाढ़ में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में अनाथ हुए आठ गैंडे के बच्चों को दूध पिलाने के लिए दान दिया। जब बच्चों को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के जंतुओं की स्थिति के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने स्कूल के प्रधानाध्यापक को पत्र लिखी। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि वे मध्याह्न भोजन से संग्रहित होनेवाली राशि को सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ रिस्क्यू एंड कंजर्वेशन(सीडब्ल्यूआरसी)को देना चाहते हैं जो फिलहाल बरामद जंतुओं की देखभाल कर रहा है।

 

प्रधानाध्यापक ने चिट्टी को प्रखंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी बर्मन तेरान को भेजा जो बच्चों की इच्छा से प्रभावित हुए और इस बारे आगे कदम उठाने को कहा।औसत हर बच्चे पर सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन के लिए 3.78 रुपए खर्च किए जाते हैं।इन सारे बच्चों पर कुल खर्च का तीन सौ रुपए का बैठता है।इससे वे छह लीटर दूध बनाने का पैकेट ही खरीद सकते हैं जबकि एक गैंडे के बच्चे को हर रोज कम से कम बीस लीटर दूध की जरुरत पड़ती है।पर बच्चों के जज्बे को देखकर शिक्षक और स्कूल के अन्य कर्मचारियों ने हाथ आगे बढ़ाया और रकम दी ताकि बच्चो की इच्छा पूरी हो सके। बाद में सीडब्ल्यूआरसी के प्रमुख रथीन बर्मन को आठ पैकेट दूध बनाने की सामग्री प्रदान की गयी। एक पैकेट दूध से छह लीटर दूध बनाया जाता है।

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