असम के स्वास्थ्य मंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि किसी को आपातकालीन स्थिति में छुट्टी की आवश्यकता हो तो वह संबंधित जिला उपायुक्त की स्वीकृति के बाद ही छुट्टी ले सकता है। अनाधिकृत तरीके से अपने कार्यस्थल में ड्यूटी के बाद अनुपस्थित रहने पर इसे गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे ड्यूटी में लापरवाही मानते हुए आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। डा.शर्मा ने कहा कि जिले के स्वास्थ्य विभाग का काम देखने वाले अतिरिक्त उपायुक्त,स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक,जिला स्वास्थ्य अधिकारी को प्रभावित इलाकों का दौरा करना होगा। साथ ही हर हफ्ते इलाके की दो अस्पतालों का दौरा करना होगा।
मंत्री ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे हफ्ते में सभी जिलों के जिला उपायुक्तों और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशकों से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर मामले की समीक्षा करने के साथ ही निगरानी रखने को कहें। मंत्री ने आगे कहा कि फिलहाल राज्य में जापानी बुखार के फैलने का मौसम चल रहा है। सिर्फ कोकराझाड़ को छोड़कर राज्य के सभी बाकी जिलों में इसके वायरस का प्रभाव है। हम इस पर पूरी निगरानी रख रहे हैं और रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। वर्ष 2016-17 में राज्य के बीस जिलों में जापानी बुखार के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया था। इसमें 68 प्रतिशत लोग कवर हुए थे। उन्होंने माना कि राज्य में व्यस्कों के लिए टीकाकरण करने की जरुरत है ताकि बाकी जिलों में इसकी रोकथाम की जा सके। प्रभावित इलाकों के 1094 गांवों में फांगिग की व्यवस्था की गई है।
”देश के अन्य राज्यों को प्रभावित करने के बाद इस महामारी ने असम में पैर पसारना शुरू कर दिया है। और इसके भयावह नतीजे सामने आने लगे है। इसलिए यह आवश्य है कि हम रोग से जुड़े हर तथ्य को बारीकी से जान ले।”
जापानी इंसेफलाइटिस के लक्षण ( Japanese encephalitis Symptoms )
:-यह बुखार सबसे ज्यादा तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता है। बच्चों पर इसका सीधा असर होता है। शुरूआत में बुखार आता है।
:-शूगर का स्तर घट जाता है।
:-दिमाग से जुड़ी तकलीफें सामने आने लगती हैं।
:-मस्तिष्क में सूजन भी आने लगती है।
:-दौरे आने लगते हैं।
:-शरीर में जकड़न महसूस होती है।
:-हाथ-पांव फूलने लग जाते है।
:-इस बीमारी के मरीज को ऑक्सीजन कम मात्रा में मिलने लगता है ऐसे में उन्हें श्वास संबंधी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है।
:-रक्त संचालन बाधित होता है।
:-जून से अक्तूबर माह में इस बीमारी का कहरा ज्यादा होता है। नतीजतन इस अवधि में इसकी चपेट में आने वाला इंसान कोमा तक में भी जा सकता है।
यह है बुखार फैलने की असल वजह ( Cause Of Japanese Encephalitis )
:-बताते हैं कि एक मेडिकल पत्रिका में छपी रिसर्च के अनुसार लीची मे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें हाइपोग्लाइसिन ए और मिथाइलेनेसाइक्लोप्रोपाइलग्लाइसिन (एमपीसीजी) कहा जाता है, से शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। इसके कारण रक्त में शुगर लेवल लो हो जाता है। यदि हम रात का खाना नही खाते है तो वैसे ही शूगर स्तर घट जाता है। इसी बीच खाली पेट लीची का सेवन करने से जापानी इंसेफलाइटिस का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
:-चिकित्सकों के अनुसार जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी) के कारण यह बिमारी होती है।
:-मच्छर के कारण यह बीमारी फैल रही है। ‘सूअर’ और जंगली पक्षी वायरस के स्त्रोत के रूप में काम करते है। मच्छर इनको प्रसारित करता है।
बचने के उपाय
:-बारिश के मौसम में मच्छर ज्यादा होते है। ऐसे में मच्छरों से बचने के सभी उपायों को अपनाया जाए।
:-सोते समय मच्छर दानी का उपयोग करे।
:-सभी लोग विशेष तौर पर बच्चे पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने।
:-खाली पेट लीची का सेवन करने से जापानी इंसेफलाइटिस का खतरा बहुत बढ़ जाता है। ऐसे में खाली पेट लीची खाने से बचे।
:-ख़बर में रोग से जुड़े सभी लक्षण बताएं गए है यदि इसमें से कोई भी लक्षण आपकों महसूस हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाए।
:-सही समय पर चिकित्सकिय उपचार ही आपकी जान बचा सकता है। इसलिए देर ना करे।
:- ‘सूअर’ व जंगली पक्षियों से दूर रहे।