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इलेक्शन स्पेशल…मेघालय: राज्य की दो लोकसभा सीटों पर राज्य में सत्तारूढ दल व कांग्रेस बीच सीधा मुक़ाबला, बीजेपी के लिए हालात चुनौतीपूर्ण

locationगुवाहाटीPublished: Apr 08, 2019 09:47:44 pm

शिलोंग लोकसभा क्षेत्र में 11 लाख 82 हजार से अधिक मतदाता हैं और तूरा क्षेत्र में 7 लाख 9 हजार से अधिक मतदाता हैं…

third spell of loksabha election only 120 candidates remain in field

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(शिलोंग,सुवालाल जांगु): मेघालय की दो लोकसभा सीटों पर मतदान पहले चरण में 11 अप्रैल को होगा। शिलोग और तूरा सीटों पर मुख्य मुक़ाबला राज्य में सत्तारूढ़ मेघालय लोकतान्त्रिक गठबंधन (एमडीए) और विपक्षी कांग्रेस के बीच ही हो रहा है। राज्य में लगभग 19 लाख पंजीकृत मतदाता हैं। शिलोंग लोकसभा क्षेत्र में 11 लाख 82 हजार से अधिक मतदाता हैं और तूरा क्षेत्र में 7 लाख 9 हजार से अधिक मतदाता हैं। मौजदा शिलोंग सीट कांग्रेस और तूरा सीट एनपीपी के पास है। कांग्रेस ने शिलोंग से मौजूदा सांसद विंसेंट एच पाला को फिर से प्रत्याशी बनाया है। पाला शिलोंग सीट से तीसरी बार प्रत्याशी बने हैं। एमडीए ने गठबंधन की प्रमुख सहयोगी पार्टी यूडीपी के डॉ. जेमिनो मोथोह को आम प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने शिलोंग सीट पर संबोर शुलई को प्रत्याशी बनाया है।


इसके अलावा टीएचबी बोने, रोमियो फिरा रानी और सैमुएल हाशाह निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस प्रकार शिलोंग लोकसभ सीट पर कुल 6 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। शिलोंग सीट 2014 के लोकसभा चुनाव में पाला ने निर्दलीय उम्मीदवार को 40 हजार से अधिक मतों से हरा कर जीती थी। तूरा सीट पर बीजेपी ने रिकमन गरे मोमिन को प्रत्याशी बनाया है। वही कांग्रेस से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मुकुल संगमा चुनाव लड़ रहे हैं। एनपीपी की अगाथा संगमा एमडीए की साझा प्रत्याशी हैं। अगाथा राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा की छोटी बहन और पूर्व लोकसभा स्पीकर पी ए संगमा की बेटी हैं, जो 2004-2014 के दौरान इस सीट से कांग्रेस से लोकसभा सदस्य रही हैं। यूपीए-2 में अगाथा केन्द्रीय राज्य मंत्री भी रही हैं। 2014 के चुनाव में इस सीट पर एनपीपी के टिकट पर कोनार्ड संगमा ने चुनाव जीता था, लेकिन 2018 में कोनार्ड संगमा राज्य के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद से यह सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर एक भी निर्दलीय उम्मीदवार नही है। दोनों सीटों पर कुल नौ प्रत्याशियों में से एक मात्र महिला प्रत्याशी हैं।


दलबदल और चुनावी मुद्दे

राज्य में कांग्रेस के उपाध्यक्ष जॉन फिलमोरे खारशिंग के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस की राज्य में बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। मेघालय के पूर्व मंत्री और एनसीपी के नेता ई सी बोनिफके बामोन कांग्रेस में शामिल हो गए। राज्य में एनसीपी का एकमात्र विधायक सत्तारूढ़ एमडीए का हिस्सा है लेकिन लोकसभा चुनाव में एनसीपी इस गठबंधन से बाहर है। बीजेपी के दो विधायक हैं और यह एमडीए का हिस्सा नही हैं। बीजेपी ने दोनों लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बामोन 1982 से 1998 के दौरान कांग्रेस में ही थे लेकिन 1998 में पीए संगमा के नेतृत्व में एनसीपी में शामिल हो गए थे। इसके अलावा आरबीआई के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक बेरिल संगमा भी कांग्रेस में शामिल हो गए। राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रहे डीडी लापांग 2018 में ही एनपीपी में शामिल हो गए थे। री लापांग इस समय राज्य सरकार के मुख्य राजनीतिक सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं।


तूरा क्षेत्र में अल्पसंख्यक राभा समुदाय के विभिन्न संगठनों ने एनपीपी की उम्मीदवार अगाथा संगमा को समर्थन देने की समूहिक घोषणा की है तो गारो राष्ट्रीय परिषद ने तूरा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मुकुल संगमा को समर्थन देने की घोषणा की है। इन चुनावों में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है तो राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा नहीं है। राज्य में नागरिकता संशोधन बिल 2016 एक मुख्य मुद्दा बन कर जरूर उभरा है। इसके अलावा राज्य में विदेशियों की अवैध घुसपेठ और राज्य में बाहरी लोगों के लिए इनरलाइन परमिट की मांग भी मुख्य मुद्दा बना है। राज्य में सेलसेला विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 11 अप्रैल को मतदान होगा।

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