जंगल को बनाया हरा-भरा
अब पुनशिलोक जंगल लगभग 300 एकड़ का हो गया है। इस जंगल में अब सिर्फ बांस की ही लगभग 25 प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां जीव और पौधों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं। 250 अलग-अलग तरह के पौधों में कई आयुर्वेदिक औषधियां भी पाई जाती हैं। जंगल बसा तो वन्यजीवों ने भी यहां डेरा लगाया है। तेंदुआ, सांप, भालू, साही और कई अन्य प्रजातियों के जानवर यहां पाए जाते हैं। हर तरफ पक्षी चहचहाते रहते हैं।
वन विभाग भी आया साथ
लोइया के इस कार्य में वन विभाग भी उनके साथ आया और जंगल को फिर से हरा-भरा बनाने में मदद की। वन विभाग ने जंगल के आसपास बनाए गए अवैध घरों को हटाया और पौधरोपण के लिण् लोइया के साथ अभियान चलाए। 2003 में लोइया और उनके साथियों ने वाइल्डलाइफ ऐंड हैबिटैट प्रोटेक्शन सोसायटी (डब्ल्यूएएचपीएस) बनाई। इस संस्था के वॉलंटियर्स भी वन लगाने और उसे संरक्षित करने के काम में लग गए।
देश-विदेश से आ रहे लोग
लोइया बताते हैं कि चर्चा में आने के बाद स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश से भी लोग यहां आने लगे हैं। सितंबर 2016 में इरोम शर्मिला भी यहां आई थीं। उन्होंने यहां आम का पौधा लगया था। परिवार पालने के लिए लोइया अपने भाई के मेडिकल स्टोर पर काम करते हैं। वह ऑर्गेनिक खेती भी करते हैं। हजारों पेड़ लगा चुके लोइया अभी और पौधे लगाकर जंगल तैयार करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि मैं खुद को पेंटर मानता हूं। दूसरे कलाकार कलर, ब्रश और कैनवपस का इस्तेमाल करते हैं। मैंने पहाडिय़ों को अपना कैनवस बनाया और उनपर पौधे लगाए, जिनपर फूल खिलते हैं। यही मेरी कला है।