विधानसभा के बजट अधिवेशन के आखिरी दिन 20 मार्च को मिज़ोरम शराब प्रतिबंध कानून पास हुआ था। जिसको मिज़ोरम के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने अनुमोदित भी कर दिया हैं। यह नया कानून राज्य में 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा था लेकिन अब यह आगामी 27 मई तक टल गया हैं। इस कानून के लागू होने से राज्य में 4 साल बाद फिर से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2015 में राज्य में शराब पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया था। राज्य सरकार के लिए शराब आय का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता हैं। हालांकि एक्साइज़ और नारकोटिक्स विभाग के मंत्री डॉ के बाइछूआ ने नए कानून को 1 अप्रैल से लागू करने की घोषणा की थी।
पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान एमएनएफ़ ने मतदाताओं से राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लाने का वायदा किया था। चुनाव बाद एमएनएफ़ ने सरकार बनाई और राज्य में 21 दिसम्बर 2018 से शराब पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया। जिसको अब तक दो बार बढ़ाया गया। राज्य से शराब विक्रेताओं ने सरकार के शराब पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने के फैसले को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय ने मिज़ोरम सरकार को एक महीने के भीतर शराब पर स्थायी प्रतिबंध लगाने या न लगाने का फैसला लेने को कहा था।
राज्य में शराब पर पूर्ण और स्थायी प्रतिबंध नया कानून लाये बिना नही लग सकता था। इसीलिए राज्य सरकार शराब पर अस्थायी प्रतिबंध की समय सीमा को दो बार बढ़ाया। सरकार नया कानून लाने के लिए विधानसभा के बजट अधिवेशन का इंतजार कर रही थी जो 11 मार्च से शुरू हुआ और इसके आखिरी दिन 20 मार्च को शराब प्रतिबंध विधेयक को पास किया। राज्य में पहली बार शराब पर सम्पूर्ण प्रतिबंध 1997 में लागू हुआ जो 2015 तक रहा। मार्च 2015 में शराब पर लगे सम्पूर्ण प्रतिबंध को हटा लिया गया। शराब से राज्य को सालाना 100 करोड़ की आय होने का अनुमान लगाया जाता हैं।