कारण वृहतर नगालिम में एनएससीएन असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कुछ इलाकों की मांग कर रहा है। केंद्र की इस घोषणा से स्पष्ट हो जाता है कि नई दिल्ली में पिछले कई दिनों से एनएससीएन आईएम के साथ हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। केंद्र ने कहा कि नगा शांति वार्ता को लेकर सोशल मीडिया पर जो चल रहा है वह कोरी अफवाह है। इससे साफ हो गया कि केंद्र ने अलग झंडे और संविधान की मांग को नहीं माना है।
मालूम हो कि 1997 से ही एनएससीएन आईएम केंद्र के साथ संघर्ष विराम में रहते हुए बातचीत कर रहा है। संप्रभु नगालिम के लिए सशस्त्र संग्राम करने वाले संगठन ने बाद में प्रस्तावित नगालिम को लेकर रंजामंदी जताई थी। इसी को लेकर अगस्त 2015 में एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। 31 अक्तूबर की समय सीमा को देखते हुए नगालैंड के राज्यपाल तथा वार्ताकार आर एन रवि ने एनएससीएन आईएम,नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप(एनएनपीजी) सहित अन्य नगा संगठनों से नई दिल्ली में 28 अक्तूबर से लगातार बातचीत की।
एनएससीएन आईएम ने बातचीत के अंत में इसे सकारत्मक बातचीत बताते हुए कहा कि केंद्र ने शर्तों के साथ उनकी अलग झंडे और संविधान की मांग को मान लिया है। इसी के बाद केंद्र ने तुरंत स्थिति को स्पष्ट किया। केंद्र ने कहा कि नगा शांति वार्ता को लेकर सोशल मीडिया पर जो चल रहा है वह कोरी अफवाह है। इससे साफ हो गया कि केंद्र ने अलग झंडे और संविधान की मांग को नहीं माना है। अब कहा यह जा रहा है कि 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हार्नबिल मेले का उद्घाटन करने आएंगे, तभी इस समझौते की औपचारिक घोषणा की जाएगी। लेकिन गतिरोध बरकरार है।