script

असमः महिला ने सड़क किनारे खुले आसमान में दिया नवजात को जन्म

locationगुवाहाटीPublished: Sep 13, 2018 07:36:28 pm

चार महिलाएं उसकी मदद के लिए आई और बच्चे को जन्म देने में मदद दी…

file photo

file photo

(पत्रिका ब्यूरो,गुवाहाटी): असम में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल है। फिलहाल निःशुल्क एंबुलेंस सेवा मृत्युजंय 108 के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। ऐसे में असम में उत्तर लखीमपुर जिले के खबलू क्षेत्र में अस्पताल ले जाने के लिए वाहन न होने के कारण एक महिला को बारिश के बीच सड़क के किनारे बच्चे को जन्म देना पड़ा।


नौ दिन की हड़ताल के बाद भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को सिर्फ इतना कहा कि मृत्युजंय 108 के कर्मचारी प्राइवेट संस्थान के हैं, सरकार के नहीं। दीगर है कि राज्य सरकार की मदद से ही यह सेवा चलती है।


बच्चे को खूले में दिया जन्म,वहीं गुजारी रात

बहरहाल इस प्रसूति को जंग लगी हुई टीन और दो छतरी से छप्पर बनाकर एकांत उपलब्ध कराया गया। चार अन्य महिलाओं ने बच्चे को जन्म देने में प्रसूता की मदद की। बाद में पास के गांव के लोग मां और बच्चे को सुरक्षित जगह पर ले गए। बच्चे को सड़क पर जन्म देने के बाद मां और नवजात ने पूरी रात खुले आसमान के नीचे सुवनसिरी नदी के किनारे बिताई और गुरुवार सुबह माजुली स्थित पितांबर देव गोस्वामी सिविल अस्पताल में उन्हें भर्ती करवाया गया।


उत्तर लखीमपुर के पथोरिसुक निवासी 22 वर्षीय महिला ऐमोनी नारा बुधवार को नियमित उपचार के लिए उसी अस्पताल में जा रही थी, जहां वह गुरुवार को भर्ती हुई। इससे पहले डॉक्टर ने सोनोग्राफी टेस्ट भी किया था और बताया था कि अगले सप्ताह के अंत तक बच्चा पैदा होने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐमोनी के अनुरोध करने बावजूद डॉक्टर ने उसे वापस घर जाने के लिए कहा।


डॉक्टर ने कहा कि पहली बार गर्भावस्था के दौरान पेट में ऐसा दर्द होता है। जैसे ही महिला अपने पति के साथ घर पहुंचने के लिए सुवनसिरी नदी पार करने के लिए नाव पर चढ़ी, उसे प्रसव पीड़ा होने लगी और अपने पति के साथ नदी के किनारे वापस आ गई। ऐमोनी चलने में भी असमर्थ थी, जिसे देखकर क्षेत्र की चार महिलाएं उसकी मदद के लिए आई और बच्चे को जन्म देने में मदद दी। वाहन न होने की वजह से एक स्थानीय पत्रकार उन्हें साइकिल से अस्पताल लेकर गया। डॉक्टर ने मां-नवजात को अपनी निगरानी में रखा हुआ है। ऐमोनी अपने गांव की आशा कार्यकर्ता के साथ पंजीकृत थीं, लेकिन गर्भवती महिलाओं के अंतिम चरण में जरूरी चेक-अप के लिए उसके साथ वह नहीं आ पाई।

ट्रेंडिंग वीडियो