चुनाव से संबन्धित 9 सामान्य पर्यवेक्षक, एक पुलिस पर्यवेक्षक और 4 वित्तीय पर्यवेक्षक राज्य में अपने कार्य के लिए आ चुके हैं। इस सीट के लिए कुल 18 नामांकन पत्र भरे गए थे जिनकी जांच के बाद 13 पत्रों को वेध पाया गया और 5 को खारिज कर दिया गया। पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट पर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर कुल 12 लाख 57 हज़ार से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं। राज्य में पिछले एक साल में 13 हज़ार नए मतदाता जोड़े गए और तकरीबन 6 हज़ार मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। राज्य का दौ-तिहाई क्षेत्र आदिवासी बहुल हैं जिसमें 12 लाख से अधिक आदिवासियों की आबादी रहती हैं जो स्वायत्त जिला परिषद के अंतर्गत स्वप्रशासित होता हैं।
राज्य में बहुकोणीय मुक़ाबला
राज्य में इस बार कोई चुनावी गठबंधन नहीं बनने और सभी दलों का अलग-अलग चुनाव लड़ने से राज्य में बहुकोणीय मुक़ाबला हो रहा हैं। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा का मुक़ाबला 25 साल से सत्ता में रहे वाममोर्च, कांग्रेस, टीएमसी के साथ हैं। देखना हैं कि बीजेपी और सरकार में सहयोगी दल आईपीएफ़टी के बीच किस प्रकार का मुक़ाबला होता हैं। पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राज्य में राजपरिवार की सदस्य प्रज्ञा देबबर्मा को प्रत्याशी बनाया हैं। इस बार राज्य में कांग्रेस की कमान भी राजपरिवार के प्रद्योत किशोर देबबर्मा के हाथ में हैं। कांग्रेस को राज्य की सबसे पुरानी और जनजातीय समुदाय से संबन्धित आईएनपीटी पार्टी और नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ आंदोलन को लेकर बना 17 राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठनों का मंच एमएसीएबी यानि मकाब का समर्थन मिल गया हैं। इस मंच के अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देब बर्मा हैं।
आईपीएफ़टी से पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा सीट के लिए मौजूदा विधायक बृश्केतु देबबर्मा प्रत्याशी हैं और पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट से आईपीएफ़टी के अध्यक्ष और पूर्व ऑल इंडिया रेडियो के निर्देशक नरेंद्र चन्द्र देबबर्मा प्रत्याशी बने हैं। बीजेपी ने एक युवा आदिवासी रेबाती त्रिपुरा को पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया हैं। कांग्रेस ने पश्चिम त्रिपुरा सीट से सुबल भौमिक को प्रत्याशी बनाया है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने मामन खान को इस सीट से प्रत्याशी बनाया हैं। सीपीएम ने शंकर प्रसाद दत्ता को इस सीट के लिए प्रत्याशी बनाया हैं।
राजनीतिक हिंसा की घटनाएं आई सामने
त्रिपुरा के इतिहास में ऐसा संयोग पहली बार बना है कि केंद्र व राज्य में दोनों जगह बीजेपी की सरकार हो और राज्य में लोकसभा के चुनाव हो रहे हो। राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हाल ही में सामने आई है। राज्य में पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा सीट से सीपीएम के उम्मीदवार शंकर प्रसाद दत्ता पर एक बार फिर हमला हुआ हैं। शंकर प्रसाद पार्टी के एमएलए रत्न भोमिक और गोमती जिला पार्टी महासचिव माधव शाह पर दतरम कस्बे में एक पार्टी बैठक के दौरान बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने हमला किया। बाद में शंकर प्रसाद ने चुनाव आयोग को इसकी शिकायत की। पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सुबल भौमिक के काफिले पर भी कुछ असामाजिक तत्वों ने हमला किया, जब भौमिक सोमनुपुरा में रोड शो करने जा रहे थे।
दूसरी तरफ पूर्व कांग्रेस एमएलए मातीलाल साहा बीजेपी में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री बिपलब देब ने सोनामुरा उपखंड में पश्चिम लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी प्रतिमा भौमिक के समर्थन में व्यापक रोड शो किया। इस उपखंड की 4 सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा था। राज्य में प्रचार के लिए बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह 28 मार्च को एकदिवसीय दौरे पर आए थे और 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं।
आईपीएफ़टी और बीजेपी के बीच बढ़ती दूरी
इसी बीच त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने राज्य में बीजेपी सरकार की सहयोगी दल त्रिपुरा मूलनिवासी जन फ्रंट (आईपीएफ़टी) के अध्यक्ष एनसी देबबर्मा और आईएनपीटी के प्रमुख बिजय कुमार श्राङ्ग्खोल के मुलाक़ात की हैं। इस मुलाक़ात को जानकार लोग आईपीएफ़टी और बीजेपी के बीच बढ़ती दूरी को नए चुनावी राजनीतिक संभावनाओं के परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं। आईपीएफ़टी और बीजेपी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन नहीं हो सका हैं। आईपीएफ़टी और बीजेपी दोनों लग-अलग ही चुनाव लड़ रही हैं। दोनों दलों ने पिछला राज्य विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था और 60 में से 44 सीटों पर गठबंधन को जीत मिली थी। आईपीएफ़टी इसी तरह लोकसभा चुनाव भी गठबंधन के तौर पर लड़ना चाह रही थी जिसके लिए पार्टी ने पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट की मांग कर रही थी। राज्य में इस सीट पर जनजातीय समुदाय की बहुलता हैं इसी क्षेत्र से आईपीएफ़टी ने विधानसभा की 9 सीटें जीती थी।