राज्यपाल पीबी आचार्या ने भारत और म्यांमार के विभिन्न नागरिक—सामाजिक और गैर-सरकारी संघटनों को निजी–सार्वजनिक भागीदारी के जरीए सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास और जन कल्याणकारी कार्यों के लिए आगे आने का आग्रह किया। राज्यपाल ने दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास प्रोजेक्ट में शैक्षणिक संस्थाओं, अस्पताल, अनाथालय, कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना की योजनाओं को शामिल करने पर ज़ोर दिया।
राज्यपाल ने मुंबई के एक गैर-सरकारी संघटन ‘इंडियन नेशनल फ़ेलोशिप सेंटर (आईआईएनएफ़सी) का उदाहरण देते हुए बताया कि आईआईएनएफ़सी पूर्वोत्तर में छात्र – अध्यापक आदान – प्रदान कार्यक्रम, सीमा क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करता हैं। गवर्नर ने म्यांमार के प्रतिनिधिमंडल से आग्रह किया कि उनको नागालैंड की यात्रा तक ही सीमित न रहकर समय–समय पर भारत के अन्य राज्यों में भी भ्रमण करना चाहिए जिससे दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को मजबूती मिलेगी। आचार्या ने दोनों देशों के नगा समुदाय के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की जरूरत पर ज़ोर दिया। राज्यपाल ने सुझाव देते हुए बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक सहयोग–एनईज़ेडसीसी म्यांमार के नगा समुदाय के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रमों को प्रायोजित कर सकती हैं।
यूएसडीपी के प्रमुख और इस प्रतिनिधिमण्डल के मुखिया उ थान हताय ने म्यांमार के नगा प्रशासित क्षेत्रों के विकास को बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। यूएसडीपी के प्रतिनिधिमंडल की राज्यपाल के साथ बैठक में नागालैंड के उच्च शिक्षा और कला-संस्कृति मंत्री तेमजेन इमना आलोंग भी उपस्थित हुए। मंत्री ने म्यांमार के प्रतिनिधिमंडल के नागालैंड भ्रमण को सराहा और साथ में मिलकर दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास करने का आश्वासन दिया।
म्यांमार के इस प्रतिनिधिमंडल की नागालैंड यात्रा, इंडिया फ़ाउंडेशन की ओर से प्रायोजित थी। इंडिया फ़ाउंडेशन एक स्वतंत्र शोध केंद्र हैं जो भारतीय राजनीति के मुद्दों, चुनोतियों और अवसरों पर शोध कार्यक्रमों का संचालन करता हैं। यूएसडीपी वर्तमान में म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी हैं जो 2010 में आन शान सूकी की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमॉक्रसि (एनएलडी) के साथ साझा सरकार बनाई थी। लेकिन 2015 के आम चुनावों में यूएसडीपी को हार का सामना करना पड़ा। म्यांमार में अगले आम चुनाव 2020 में होंगे।