नागालैंड अपने स्तर पर शुरु करने जा रहा है नागरिक पंजीयन का कार्य
नागालैंड ( Nagaland Government ) ने भी राज्य के मूल निवासियों की पहचान के लिए एक सूची बनाने की तैयारी कर ली है। यह सूची असम में बनाई जा रही एनआरसी ( Assam NRC ) की तरह ही होगी। एनआरसी को सुुप्रीम कोर्ट की निगरानी में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बना रही हैं। वहीं नागालैंड में बनने वाली यह सूची ( RIIN ) राज्य सरकार अपने स्तर पर तैयार कर रही है...

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): नागालैंड भी अब स्वदेशी लोगों की एक सूची तैयार करने का कार्य शुरु करने जा रहा है। नागालैंड के गृह आयुक्त ने इससे संबंधित एक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के अनुसार नागालैंड के स्वदेशी लोगों की नागरिक पंजी (आरआईआईएन) का काम 10 जुलाई से शुरु होगा और 60 दिन में पूरा किया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि अयोग्य व्यक्तियों को स्वदेशी वाशिंदा प्रमाण (आईआईसी) देने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। यह अभ्यास राज्य के आधिकारिक रिकार्डों के आधार पर राज्य के प्रत्येक गांव और वार्ड में आवासियों के विस्तृत सर्वे के आधार पर किया जाएगा। सर्वे में इस बात का पता भी लगाया जाएगा कि स्वदेशी व्यक्ति अपने स्थाई पते पर रह रहा है या अन्यत्र चला गया है। आधार नंबर जहां जरुरत पडेगी वहां रिकार्ड किए जाएंगे। जैसे ही सभी स्वदेशी लोगों के डाटा संग्रहित हो जाएंगे अस्थाई सूची प्रकाशित की जाएगी।
अधिसूचना में कहा गया है कि अस्थाई सूची की गांव और वार्ड ऑथरिटी द्वारा पुष्टि कराई जाएगी। सूची को 11 सितंबर तक प्रत्येक गांव और वार्ड में प्रकाशित करने के साथ ही प्रत्येक जिले की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। इसके साथ ही दावों और उनके निपटारे के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा। सभी जिला उपायुक्तों को टीमें गठित करने को कहा गया है ताकि वे पूरे अभ्यास को अंजाम देने के साथ ही सभी गांव और जनजातीय परिषदों को इसकी सूचना दे सके। अधिकारी दावों और आपत्तियों पर आधिकारिक रिकार्ड और अन्य तथ्यों के आधार पर फैसला करेंगे। प्रत्येक स्वदेशी व्यक्ति को एक यूनिक आईडी दी जाएगी। अंतिम सूची का प्रकाशन 10 दिसंबर या इसके पहले किया जाएगा।
नागालैंड के सरकारी अधिकारी ने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी स्वदेशी लोगों के स्वदेशी आवासीय प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। इसके बाद उनके पास पहले का कोई आईआईसी रहने पर वह अवैध हो जाएगा। इसके बाद कोई नई आईसीसी जारी नहीं की जाएगी। सिर्फ स्वदेशी लोगों के पैदा हुए बच्चों को प्रमाण पत्र मिलेगा और उनका नाम आरआईआईएन में अद्यतन किया जाएगा। आरआईआईएन को हर पांच साल के बाद अपडेट किया जाएगा।
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