पूर्वोत्तर क्षेत्र में 8 राज्यों की कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। इनमें असम में 14, अरुणाचल, मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा में 2-2 लोकसभा सीटें हैं। मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम में 1-1 लोकसभा सीट है। अभी मौजूदा लोकसभा में इस क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस के पास 8-8 सीटें हैं। असम की एक सीट निर्दलीय के पास है। त्रिपुरा की दोनों सीटें सीपीआईएम के पास और मणिपुर की दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। नागालैंड, सिक्किम की 1-1 सीट क्षेत्रीय दलों के पास हैं। मिज़ोरम की 1 मात्र सीट कांग्रेस के पास है। अरुणाचल की 2 सीटों में से भाजपा और कांग्रेस के पास 1-1 सीट है।
मेघालय की तूरा लोकसभा सीट पिछले एक साल से खाली है तो शिलोंग की सीट कांग्रेस के पास है। दिवंगत पीए संगमा के पुत्र कोनार्ड संगमा ने 2014 के चुनावों में एनपीपी के उम्मीदवार के तौर पर तूरा लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद कोनार्ड संगमा ने राज्य के मुख्यमंत्री बनने की वजह से इस सीट से त्यागपत्र दे दिया था। 2018 में नागालैंड के विधानसभा चुनाव के बाद नेफ़्यू रिओ राज्य के मुख्यमंत्री बने तो लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया और 2 महीने के बाद इस सीट के उपचुनाव भी हो गए।
एनपीपी की पूर्वोत्तर में बढ़ती राजनीतिक पकड़
एनपीपी पूर्वोत्तर में एक राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभर रही है। पार्टी पिछले 5 साल में 4 राज्यों में कुल 30 विधानसभा सीटें और 1 लोकसभा सीट जीतकर इस क्षेत्र की सबसे बड़ा स्थानीय दल बन गया हैं। जिनमें मेघालय की 19, अरुणाचल की 5, मणिपुर की 4 और नागालैंड की 2 सीटें हैं।