सूत्रों के मुताबिक एनपीपी ने भी चुनाव आयोग को इसके लिए निवेदन पत्र जमा करा दिया है। अभी हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एनपीपी ने 5 सीटें जीती थीं। एनपीपी केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए का सहयोगी दल है। एनपीपी की स्थापना पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने जनवरी 2013 में की थी। संगमा पूर्वोत्तर के सबसे बड़े और लोकप्रिय सांसद रहे हैं। उन्होंने 2012 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद एनपीपी की स्थापना की थी। राजस्थान में किरोड़ीलाल मीणा भी संगमा के साथ एनपीपी के सहसंस्थापक थे। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में एनपीपी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 60 में से 21 सीटों के साथ एनपीपी मेघालय में सबसे बड़ा राजनित्क दल है।
पार्टी के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा के नेतृत्व में एनपीपी ने अरुणाचल प्रदेश की 60 विधानसभा सीटों में से 5 पर जीत दर्ज की है। मणिपुर में एनपीपी के 4 एमएलए हैं और पार्टी से वाई. जोयकुमार सिंह राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं। नागालैंड में पार्टी को 2 सीट के साथ राज्य स्तर के राजनीतिक दल का दर्जा मिला हुआ है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक अगर कोई पार्टी कम से कम चार राज्यों में राज्य-स्तरीय पार्टी की मान्यता रखती है, तो वह पार्टी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता रखने की आवश्यक शर्तें भी पूरी करती है। वर्तमान में कुल सात राजनीतिक पार्टिया राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता प्राप्त हैं। सितम्बर 2016 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस –टीएमसी सातवीं और आखरी राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त है।
एनपीपी का चुनाव चिन्ह ‘किताब’ है , राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाने के बाद देश में किसी भी अन्य राजनीतिक दल या प्रत्याशी को एनपीपी का ‘किताब’ वाला चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं किया जा सकेगा। राष्ट्रीय राजनीतिक दल को दिल्ली में पार्टी कार्यालय और राजनीतिक गतिविधियों के लिए जमीन आवंटन सरकार की तरफ से किया जाता है।