शनिवार को छात्रों को जिंदगी से संबन्धित कौशल, कलायें, अतिरिक्त सहपाठ्यक्रम गतिविधियां, खेलकुद और अन्य कई रचनात्मक गतिविधिया सिखाई जाएगी। एक ओर इस इस कदम से छात्रों पर पड़ने वाले अबाध तनाव को कम किया जा सकेगा। दूसरी ओर इससे स्कूल को ज्यादा अनुकूल और आनंदपूर्ण स्थान बनाया जा सकेगा।
पिछले साल नवंबर में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रलाया ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों से बच्चों के स्कूल बेग का भार को कम करने के उपाय करने को कहा गया था। लेकिन यह इस मामले पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई। देश में कई स्कूल अभी भी छात्रों को अत्यधिक भार और भारी-भरकम बेग लाने के परंपरागत नियमों और तरीकों पर ही चल रहे हैं।
तय है बेग का वजन
जैसा कि सरकारी परिपत्र में बच्चों के लिए स्कूल बेग का वजन निर्धारित किया गया हैं: – 1-2 कक्षा तक 1.5 किलो के ज्यादा स्कूल बेग का वजन नहीं होना चाहिए, 3 – 5 कक्षा तक 2-3 किलो वजन और कक्षा 6-7 तक 4 किलो से ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए। कक्षा 8-9 और कक्षा-10 तक बच्चों के स्कूल बेग का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। स्कूल, समाज और सरकार को बच्चों में किताबी ज्ञान के अलावा जिंदगी में अन्य कई कलाए, विद्याए और कौशल के ज्ञान के महत्व पर ज़ोर देना जाहिए। कमवजनी स्कूल बेग और ‘नो स्कूल बेग डे’ से बच्चों को सहपाठ्यक्रम और अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों को सीखने और करने का मौका मिलता हैं। इससे स्कूल और ज्यादा अनुकूल और आनंदपूर्ण जगह बनती हैं।