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स्कूली बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ाने को नया कदम, मणिपुर में हर शनिवार होगा ‘नो स्कूल बेग डे’

locationगुवाहाटीPublished: Sep 09, 2019 03:54:25 pm

Submitted by:

Prateek

No School Bag Day In Manipur: स्कूलों में रचनात्मकता बढाने के नए उपायों ( How To Increase Creativity In Children ) पर कैसे काम किया जाए यह मणिपुर से सीखा जाना चाहिए, बच्चों के कंधों का बोझ कम कर, उन्हें रचनात्मक पहलूओं पर ध्यान दिया जाएगा…

No School Bag Day In Manipur

स्कूली बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने को नया कदम, मणिपुर में हर शनिवार होगा ‘नो स्कूल बेग डे’

(इम्फ़ाल, सुवालाल जांगु): मणिपुर में शनिवार को ‘नो स्कूल बेग डे’ के तौर पर मनाया जाएगा। मणिपुर सरकार ( Manipur Government ) ने इसकी घोषणा की है। इस फैसले के तहत राज्य के हर स्कूल में शनिवार को 1 से 8 तक की कक्षाओं के छात्र बिना किताबों के स्कूल जाएंगे। मणिपुर में 1-8 तक की कक्षाओं के छात्रों के स्कूल बेग और पाठ्यक्रम गतिविधियों पर की गई एक अध्ययन रिपोर्ट से यह पाया गया कि छात्रों द्वारा अत्यधिक भरे और भारी भरकम बेग ले जाने से बच्चो में पेशीय विकार होने की संभावना बढ़ जाती है। कम वजनी बेग लेकर पैदल चलकर स्कूल जाने से बच्चों में पीठ-दर्द कि शिकायत नहीं रहती हैं। स्कूल बेग का अत्यधिक वजन और होमवर्क का भार भी बच्चों को तनाव में लाता हैं।

 

शनिवार को छात्रों को जिंदगी से संबन्धित कौशल, कलायें, अतिरिक्त सहपाठ्यक्रम गतिविधियां, खेलकुद और अन्य कई रचनात्मक गतिविधिया सिखाई जाएगी। एक ओर इस इस कदम से छात्रों पर पड़ने वाले अबाध तनाव को कम किया जा सकेगा। दूसरी ओर इससे स्कूल को ज्यादा अनुकूल और आनंदपूर्ण स्थान बनाया जा सकेगा।


पिछले साल नवंबर में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रलाया ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों से बच्चों के स्कूल बेग का भार को कम करने के उपाय करने को कहा गया था। लेकिन यह इस मामले पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई। देश में कई स्कूल अभी भी छात्रों को अत्यधिक भार और भारी-भरकम बेग लाने के परंपरागत नियमों और तरीकों पर ही चल रहे हैं।


तय है बेग का वजन

जैसा कि सरकारी परिपत्र में बच्चों के लिए स्कूल बेग का वजन निर्धारित किया गया हैं: – 1-2 कक्षा तक 1.5 किलो के ज्यादा स्कूल बेग का वजन नहीं होना चाहिए, 3 – 5 कक्षा तक 2-3 किलो वजन और कक्षा 6-7 तक 4 किलो से ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए। कक्षा 8-9 और कक्षा-10 तक बच्चों के स्कूल बेग का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। स्कूल, समाज और सरकार को बच्चों में किताबी ज्ञान के अलावा जिंदगी में अन्य कई कलाए, विद्याए और कौशल के ज्ञान के महत्व पर ज़ोर देना जाहिए। कमवजनी स्कूल बेग और ‘नो स्कूल बेग डे’ से बच्चों को सहपाठ्यक्रम और अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों को सीखने और करने का मौका मिलता हैं। इससे स्कूल और ज्यादा अनुकूल और आनंदपूर्ण जगह बनती हैं।

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