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नागालैंड में एनपीएफ़ ने पार्टी के आठ पदाधिकारियों को कारण-बताओ नोटिस दिया

locationगुवाहाटीPublished: May 03, 2019 10:37:13 pm

लोकसभा चुनावों के प्रथम चरण में 11 अप्रैल को नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर लगभग 80 फीसदी मतदान हुआ था…

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(दिमापुर,सुवालाल जांगु): नागालैंड पीपुल्स फ्रंट ने पार्टी के 8 केंद्रीय पदाधिकारियों को कारण-बताओ नोटिस दिया है। एनपीएफ़ ने पार्टी के निर्णय के खिलाफ मीडिया में खबरें छपवाने को गंभीरता से लेते हुये आज पार्टी के 8 केन्द्रीय पदाधिकारियों को कारण-बताओं नोटिस (एससीएन) जारी किया। इन आठ पदाधिकारियों ने पार्टी से निलंबित सात विधायकों को पार्टी से निकाल दिये जाने पर गुरुवार को मीडिया में सवाल उठाए थे। पार्टी ने इन पदाधिकारियों द्वारा मीडिया में पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाने को गंभीरता से लिया।

 

लोकसभा चुनावों के प्रथम चरण में 11 अप्रैल को नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर लगभग 80 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट पर बीजेपी-एनडीपीपी और एनपीएफ़-कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुक़ाबला था। एनपीएफ़ जो राज्य में एकमात्र विपक्षी पार्टी हैं इसके सात एमएलए ने लोकसभा चुनाव में एनडीपीपी-बीजेपी के उम्मीदवार का समर्थन किया था।


एनपीएफ़ ने 14 अप्रैल को इन सात विधायकों को कारण-बताओ नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा था। विधायकों से जवाब नहीं मिलने के बाद पार्टी ने इनके खिलाफ कार्रवाही की। पार्टी ने सातों विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में पार्टी से निकाल दिया। एनपीएफ़ के नेतृत्व के इस निर्णय से पार्टी के भीतर असंतोष पैदा हो गया। कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय को गलत ठहराया। पार्टी के इन आठ पदाधिकारियों ने निलंबित विधायकों के पक्ष में गुरुवार को मीडिया में एक संयुक्त प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर दी। एनपीएफ़ ने इन आठ पदाधिकारियों को पार्टी के निर्णय के खिलाफ मीडिया में सवाल करने की वजह से कारण-बताओ नोटिस दिया हैं। पार्टी ने कारण-बताओ नोटिस में कहा कि क्यों नहीं आपको पार्टी से निकाल दिया जाए। इन पदाधिकारियों को एक सप्ताह में जवाब देना हैं। एनपीएफ़ की अनुशासन समिति के संयोजक ब्लाईज़ लेलुंग और सचिव सूमोंगों ओवुंग ने इन आठ पदाधिकारियों को कारण-बताओ नोटिस जारी किया हैं।

 

स्थानीय समाचार पत्रों में इन आठ पदाधिकारियों द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित हुयी। प्रकाशित प्रेस-विज्ञप्ति के मुताबिक इन आठ पदाधिकारियों ने पार्टी नेतृत्व के द्वारा सात विधायकों को निकालने और विधान सभा अध्यक्ष को दलबदल विरोध कानून के तहत अयोग्य घोषित करने से संबन्धित याचिका लगाने के निर्णय पर सवाल उठाएं है। एनपीएफ़ की अनुशासन समिति ने इन पदाधिकारियों को नोटिस देने के साथ एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की ,जिसमें कहा गया हैं कि पार्टी के कुछ पदाधिकारियों द्वारा पार्टी के निर्णय के खिलाफ मीडिया में जाने को पार्टी ने गंभीरता से लिया और पार्टी ने इनकी गतिविधि को पार्टी के अनुशासन और राजनीतिक आचरण के खिलाफ माना हैं। हालांकि इन आठ पदाधिकारियों ने बुधवार को एनपीएफ़ के नेतृत्व से सात विधायकों के खिलाफ निलंबन आदेश और स्पीकर कार्यालय से इनको अयोग्य करने की याचिका को वापिस लेने का आग्रह किया था। जिसको पार्टी नेतृत्व ने ठुकरा दिया था।

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