पुलिस की विशेष शाखा के महानिदेशक पल्लव भट्टाचार्य ने स्वीकारा कि प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ राज्य में जो माहौल बन रहा है, उससे उल्फा को नया जीवन मिल रहा है। संगठन के प्रति काफी युवा आकर्षित हुए हैं। कई शामिल भी हुए हैं।
उल्फा में शामिल होने से पहले पकड़ें गए
उन्होंने कहा कि सितंबर से अब तक आठ युवकों के उल्फा में शामिल होने की हमें जानकारी है। इनमें अखिल असम छात्र संघ(आसू) के देरगांव का नेता पंकज प्रतीम दत्त, उदालगुड़ी के तीन युवक रंजीत वैश्य ,शंशाक नाथ और जयंत डेका शामिल है। इसके अलावा इस दौरान उल्फा में शामिल होने जा रहे लगभग 8-10 युवक पुलिस के हाथों पकड़े गए हैं। यदि ये पुलिस के हाथ नहीं आते तो उल्फा में शामिल होते।
इन जिलों में बढ़ रही उल्फा की ताकत
शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ जो माहौल बना है, उसका फायदा उल्फा ऊपरी असम में अपनी स्थिति शक्तिशाली करने में लगा है। इनमें तिनसुकिया,डिब्रुगढ़,शिवसागर,गोलाघाट और उदालगुड़ी जिला शामिल है। इन जिलों में उल्फा द्वारा सदस्य अभियान चलाए जाने के कारण पुलिस विशेष नजर रख रही है।
केंद्र और राज्य की भाजपानीत सरकार प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में है और राज्य के अधिकांश लोग और संगठन इसके खिलाफ हैं। इन्हें लगता है कि इस विधेयक के लागू होने से असम के मूल लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उनके अस्तित्व के सामने संकट आ जाएगा।
विधेयक से असम समझौते पर संकट
मालूम हो कि इस विधेयक के जरिए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी है, जबकि असम समझौते के अनुसार 24 मार्च 1971 के बाद आया कोई भी विदेशी चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, राज्य में रह नहीं सकता। विधेयक के लागू होने से असम समझौता खत्म हो जाएगा।