पूसी रेलवे के मुख्य अभियंता मोहिंदर सिंह ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4.94 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से जुड़े पुल का रखरखाव काफी सस्ता होता है। इस पुल के निर्माण में 5,900 करोड़ रुपये का खर्च आया है और इसकी मियाद 120 वर्ष है। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी। इसके अलावा दिल्ली से डिब्रुगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा। इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी। यह पुल रक्षा की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण होगा।
बोगीबील पुल असम समझौते का हिस्सा रहा है और इसे 1997-98 में अनुशंसित किया गया था। यह पुल अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर रक्षा सेवाओं के लिए भी आड़े वक्त में खास भूमिका निभा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने 22 जनवरी, 1997 को इस पुल की आधारशिला रखी थी, लेकिन इस पर काम 21 अप्रैल, 2002 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय में शुरू हो सका। पुल के शुभारंभ की तारीख का दिन 25 दिसंबर वाजपेयी की वर्षगांठ का भी दिन है। परियोजना में अत्यधिक देरी के कारण इसकी लागत में 85 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गयी शुरुआत में इसकी लागत 3230.02 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 5,960 करोड़ रुपये हो गयी। इस बीच पुल की लंबाई भी पहले की निर्धारित 4.31 किलोमीटर से बढ़ाकर 4.94 किलोमीटर कर दी गई। परियोजना के रणनीतिक महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस पुल के निर्माण को 2007 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था। इस कदम के बाद से धन की उपलब्धता बढ़ गई और काम की गति में तेजी आ गई। अधिकारियों ने कहा कि यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर रहने वाले लोगों को होने वाली असुविधाओं को काफी हद तक कम कर देगा, पर इसकी संरचना और इसकी डिजाइन को मंजूरी देते समय रक्षा आवश्यकताओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
एक रक्षा सूत्र ने कहा कि यह पुल रक्षा बलों और उनके उपकरणों के तेजी से आवागमन की सुविधा प्रदान करके पूर्वी क्षेत्र की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगा। इसका निर्माण इस तरह से किया गया था कि आपात स्थिति में एक लड़ाकू विमान भी इस पर उतर सके। उन्होंने कहा कि पुल का सबसे बड़ा लाभ दक्षिणी से उत्तरी तट तक सैनिकों की आसान आवाजाही में होगा। इसका मतलब यह हुआ कि चीन की तरफ भारत की सीमा में कई सौ किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले, ढोला-सदिया पुल और अब बोगीबील, ये दोनों भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाने जा रहे हैं।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने कहा कि चीन के साथ भारत की 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में है और यह पुल भारतीय सेना के लिए सीमा तक आवागमन में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील पुल असम में डिब्रुगढ़ शहर से 17 किमी दूर स्थित है और इसका निर्माण तीन लेन की सड़कों और दोहरे ब्रॉड गेज ट्रैक के साथ किया गया है। उन्होंने कहा यह पुल देश के पूर्वोत्तर इलाके की जीवन रेखा होगा और असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट के बीच संपर्क की सुविधा प्रदान करेगा।
शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के अंजाव, चंगलांग, लोहित, निचली दिबांग घाटी, दिबांग घाटी और तिरप के दूरस्थ जिलों को बहुत लाभ होगा। लोगों को उदघाटन स्थल पर ले जाने के लिए रेलवे ने जोनाई से दो व गोगामुख से भी दो स्पेशल रेल की व्यवस्था की है। उक्त पुल के खुल जाने से धेमाजी, लखीमपुर जिले सहित अरूणाचल प्रदेश के पिछड़े क्षेत्र बहुत लाभान्वित होंगे। यहां के लोग अपने क्षेत्र में उत्पादित कच्चा माल, सब्जी, तांबुल, पान, फल, बड़ी इलायची, अदरक, देश के अन्य भागों में भेजकर अपनी आमदनी बढायेंगे। साथ ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या चिकित्सा जिसके अभाव में बहुत लोगों की मौत हो जाती थी, उस पर रोक लगेगी। सबसे ज्यादा लाभ हमारी भारतीय सेना को होगा जो अपना सैन्य साजोसमान, सैनिक, राशन तेजी से भारत-चीन सीमा पर पहुंचा सकेगी। इस पुल के उद्घाटन को लेकर लोगों में बड़ी उत्सुकता देखी जा रही है।