चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने दी सूचना
उच्च शिक्षित होने के बावजूद क्रूरता की यह घटना डिबू्रगढ़ चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को पता चली। कमेटी के सदस्यों को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के जरिए इसकी जानकारी मिली। कमेटी की ओर से इसकी सूचना पुलिस को दी गई। कमेटी और पुलिस टीम भी इस वीडियों को देखकर एकबारगी विश्वास नहीं कर सके कि कोई कू्ररता की हदें भी पार कर सकता है। कमेटी की सूचना पर पुलिस ने पूरी पड़ताल की तो पता चला कि एक 12 साल के बच्चे को खौलते हुए पानी से जलाया गया है। इसकी बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर तेजी से कार्रवाई शुरु की।
नींद में डाला खौलता पानी
पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक बच्चा असम के एक मेडिकल कॉलेज और डिबू्रगढ़ अस्पताल में डॉक्टर
सिद्धि प्रसाद देउरी के घर पर घरेलू कार्य करता था। सिद्धी प्रसाद की पत्नी मंजुला मोरन भी एक कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। आरोप है कि सिद्धि प्रसाद देउरी ने लड़के पर गरम पानी डाल दिया क्योंकि वह सो रहा था तो वहीं मंजुला मोरन पर आरोप है कि उन्होंने वहां मौजूद रहते हुए भी बच्चे को कोई इलाज मुहैया नहीं करवाया।
आखिरकार दबोचे गए
पुलिस ने पीडि़त का बयान दर्ज कर दंपत्ति के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद आरोपी दम्पत्ति की तेजी से तलाश शुरु की। पुलिस ने आरोपी दम्पत्ति के तमाम संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दी। एक बार तो दम्पत्ति पुलिस को भी गच्चा देने में कामयाब हो गए। आखिरकार पुलिस उन्हें दबोचने में कामयाब हो गई।
बीमारी की आड़ में फरार हुए
पुलिस ने बताया कि शिकायत के बाद जब वह पूछताछ के लिए दंपति के पास पहुंचे तो उन्होंने पाया सिद्धि प्रसाद देउरी एक कैंसर रोगी हैं और उन्हें स्लाइन चढ़ाया जा रहा है। इसे देखने के बाद पुलिस ने दंपति को थाने आने के लिए कहा था। पुलिस द्वारा बीमारी के कारण मौके से गिरफ्तारी नहीं करने का दोनों ने फायदा उठाया। दपंत्ति वहां से फरार हो गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें पकडऩे के लिए कई स्थानों पर छापेमारी की। आखिरकार दोनों आरोपियों को असम के नागांव से गिरफ्तार कर लिया।