तेजपुर संसदीय सीट पर मुकाबला भाजपा के पल्लव लोचन दास(41) और कांग्रेस के एमजीवीके भानु(60) के बीच होगा। दोनों के बीच वाकयुद्ध छिड़ चुका है। पल्लव जहां असम सरकार में श्रम व चाय जनजाति कल्याण मंत्री हैं, वहीं एमजीवीके भानु 1985 के आईएएस अधिकारी हैं। भानु आंध्रप्रदेश के हैं लेकिन आईएएस के तौर पर उन्होंने लंबा समय असम में बिताया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव के रुप में सेवानिवृत होने के बाद वे इस साल फरवरी में कांग्रेस में शामिल हो गए। भाजपा के उम्मीदवार तथा अन्य नेताओं ने भानु के खिलाफ बाहरी व्यक्ति होने का आरोप लगा प्रचार किया तो कांग्रेस के उम्मीदवार भानु ने कहा कि 1985 से असम उनकी कर्मभूमि रही है। मैंने जब आईएएस के तौर पर सेवा शुरू की तो शायद दास का जन्म ही नहीं हुआ था।
भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के जीतने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों से इस सीट की लड़ाई रोचक हो गई है। फिलहाल यह सीट भाजपा के कब्जे में है। पर भाजपा के निवर्तमान सांसद आरपी शर्मा को पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने भाजपा छोड़ दी। इस सीट पर 1.7 लाख गोरखा मतदाता हैं। सांसद शर्मा इसी समुदाय के हैं। इसलिए इसका कुछ असर पड़ सकता है। तेजपुर सीट की खासियत रही है कि इस सीट पर 1957 से 2009 तक कांग्रेस का उम्मीदवार ही जीतता आया था, पर 2009 में असम गण परिषद के उम्मीदवार जोसेफ टोप्पो ने जीत हासिल की थी। वहीं 2014 में इस सीट से भाजपा के आरपी शर्मा विजयी हुए थे।
इस सीट से कांग्रेस के मणि कुमार सुब्बा 1998 से 2009 तक सांसद रहे। गोरखा मतों के इस बार विभाजित होने की आशंका है। क्योंकि नेशनल पीपुल्स पार्टी की ओर से असम राइफल्स के सेवानिवृत अधिकारी राम बहादुर सोनार चुनाव लड़ रहे हैं। इस संसदीय सीट में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से आठ में भाजपा के और एक सीट पर सहयोगी अगप का विधायक है। आदिवासी मतदाताओं की संख्या 2.4 लाख है ।भाजपा ने पल्लव को आदिवासी मतदाताओं की संख्या को देखकर ही उतारा है। पल्लव तेजपुर संसदीय सीट के अंतर्गत आनेवाले रंगापाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी हैं। पल्लव को उम्मीदवार बनाने के पहले इस सीट से असम के वित्त मंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा के नाम की चर्चा थी। पर पार्टी ने डा.शर्मा को चुनाव लड़ने से रोक दिया। इसके बाद हिमंत ने अपने करीबी पल्लव को टिकट दिलवाया। अब पल्लव की जीत के लिए वे दिन-रात एक किए हुए हैं।