गुवाहाटी

बंदूक थाम पकड़ा था अलगाव का रास्ता, अब प्रेरणा बन दिखा रहे हरियाली का रास्ता

Assam: गुवाहाटी से करीब 130 किमी दूर स्थित 22.24 वर्ग किलोमीटर में फैला भैरबकुंड अभयारण्य 1980 के दशक के प्रारंभ में अवैध कटाई के कारण बंजर था। बड़े पैमाने पर वनों की कटाई…

गुवाहाटीAug 16, 2019 / 10:53 pm

Nitin Bhal

बंदूक थाम पकड़ा था अलगाव का रास्ता, अब प्रेरणा बन दिखा रहे हरियाली का रास्ता

गुवाहाटी. गुवाहाटी से करीब 130 किमी दूर स्थित 22.24 वर्ग किलोमीटर में फैला भैरबकुंड अभयारण्य 1980 के दशक में अवैध कटाई के कारण बंजर था। बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण यहां के हाथी भोजन की तलाश में गांवों में जा घुसते थे। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष विकट रूप लेता जा रहा था। लेकिन आज यहां स्थिति उलट है। अब इस अभयारण्य में ऊंचे रबर के पेड़, घने जंगल और हाथी, तेंदुए, अजगर, हिरण, जंगली सूअर, सांप व प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों देखी जा सकती हैं।

यह परिवर्तन आया है उन हाथों से जिन्होंने कभी अलगाववाद की राह पकड़ बंदूकें थाम ली थीं। बोडो समुदाय के इन पूर्व उग्रवादियों ने सशस्त्र संघर्ष छोड़ दिया और करीब १२ साल पहले इस नेक काम की शुरुआत की। पूर्व सशस्त्र उग्रवादियों का 35 सदस्यीय समूह पिछले बारह वर्षों से अपनी मातृभूमि के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने में समर्पित है। इस्माइल डेमारी के नेतृत्व में इस समूह ने आत्मसमर्पण किया और राहत शिविरों में रहने के बजाय सरकार से 50 साल की लीज पर जमीन ली। उन्होंने सौदा किया और राज्य सरकार के साथ खेती से होने वाले मुनाफे के बराबर हिस्सा दिया। भैरबकुंड के आस-पास करीब 6 किलोमीटर क्षेत्र में इन्होंने तकरीबन १४ लाख से अधिक पौधे लगाए, जो आज घने जंगल का रूप ले चुके हैं।

2007 से शुरू किया पौधे लगाना

2003 में 35 लोगों ने खेती के लिए बहुउद्देशीय फार्म का गठन और पंजीकरण किया। ये लोग भैरबकुंडा आरएफ में सेवारत तत्कालीन वन रेंज अधिकारी नाबा कुमार बोरदोलोई के संपर्क में आए। बोरदोलोई ने सदस्यों को संयुक्त वन प्रबंधन योजना के तहत पेड़ों के रोपण के साथ आगे बढऩे के लिए राजी किया। 2005 में, प्रलेखन, सर्वेक्षण आदि की प्रक्रिया आयोजित की गई थी और केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। पौधरोरण 2007-2011 के बीच किया गया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा और एक बंजर भूमि का उपजाऊ जंगल में बदल दिया।

छह गांवों के लोगों का मिला सहयोग

These Ex-Militants Grew a Lush Forest in Assam

समूह ने इस बंजर भूमि को पारंपरिक साधनों का उपयोग करते हुए आसपास के छह गांवों सोनईगांव, भैरबपुर, गोरिमारी, सपनगांव, मझगांव -1 और मझगांव -2 के स्थानीय लोगों की सहायता से एक जंगल में परिवर्तित कर दिया। डेमारी ने बताया कि हमने 2007 में सिर्फ 35 सदस्यों के साथ पौधरोपण शुरू किया था। अब हम आय सृजन के लिए वन संसाधनों पर आधारित कुटीर उद्योगों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पौधरोपण के अलावा इस 35 सदस्यीय समूह और अन्य ग्रामीणों ने नहरों का निर्माण किया है, जो इस मानव निर्मित जंगल को पोषित कर रही हैं।

लोगों को कर रहे प्रेरित

These Ex-Militants Grew a Lush Forest in Assam

इस्माइल और उनके साथी आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। इन्होंने कैसे बंजर भूमि को एक घने जंगल में बदला यह जानने के लिए बड़ी संख्या में लोग भैरबकुंड आते हैं। यहां से लोग एक प्रेरणा लेकर जाते हैं कि अगर मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी मुसीबत हमें रोक नहीं सकती है। कभी राह भटक चुके इस्माइल और उनके साथियों के प्रति लोग अब आदरभाव जताते हैं।

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