करीमगंज की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है। कुशियारा नदी के उस पार बांग्लादेश है। करीमगंज संसदीय सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 13,13,469 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 685280 तथा महिला मतदाताओं की संख्या 628173 है। करीमगंज संसदीय सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें राताबाड़ी, पाथारकांदी, करीमगंज उत्तर,करीमगंज दक्षिण, बदरपुर, हैलाकांदी, काटलीचेरा और अलगापुर शामिल है। इनमें से चार में एआईयूडीएफ और दो-दो भाजपा और कांग्रेस के पास है। एआईयूडीएफ के पास करीमगंज दक्षिण, हैलाकांदी, काटलीचेरा और अलगापुर है। वहीं भाजपा के पास राताबाड़ी और पाथारकांदी तथा कांग्रेस के पास करीमगंज उत्तर और बदरपुर की सीटें हैं।
करीमगंज संसदीय सीट पर इस बार कुल 14 उम्मीदवार हैं। इनमें कांग्रेस के स्वरुप दास, भाजपा के कृपानाथ मल्लाह, एआईयूडीएफ के राधेश्याम विश्वास के अलावा एसयूसाआई(यू) के प्रभास चंद्र सरकार, हिंदुस्तान निर्माण दल के निखिल रंजन दास, ऑल इंडिया फारवार्ड ब्लॉक के अजय कुमार सरकार, तृणमूल कांग्रेस के चंदन दास, निर्दलीय परीक्षित राय, राजू दास, हरि लाल रबी दास, अनुपम सिन्हा, राम नारायण शुक्लवैद्य, रवींद्र चंद्र दास और सत्यजीत दास शामिल है। करीमगंज सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को चुनाव होगा। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां मुसमलान मतदाताओं की संख्या 55 प्रतिशत, हिंदू की 27 प्रतिशत, चाय जनगोष्ठी की 16 प्रतिशत और जनजातियों की 2 प्रतिशत है। लेकिन अब तक इस सीट से हिंदू उम्मीदवार ही जीतता आया है। वजह है यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। अधिकांश समय इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है।
1962, 1967, 1971, 1977, 1980 में इस सीट से कांग्रेस के नीहार रंजन लश्कर चुनाव जीते। वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस सोशलिस्ट के सुदर्शन दास विजयी हुए थे। वहीं 1991 और 1996 में भाजपा के द्वारका नाथ दास जीते। फिर 1998 और 1999 में कांग्रेस के नेपाल चंद्र दास विजयी हुए। वर्ष 2004 और 2009 के चुनाव में कांग्रेस के ललित मोहन शुक्लवैद्य जीते और 2014 में एआईयूडीएफ के राधेश्याम विश्वास इस सीट से सांसद बने। राधेश्याम विश्वास को 3,62,866 मत मिले। वहीं भाजपा की कृष्णा दास को 2,60,772 वोट प्राप्त हुए जबकि कांग्रेस के ललित मोहन शुक्लवैद्य को 2,26,562 वोट मिले। विश्वास भाजपा के उम्मीदवार से 1 लाख दो हजार 94 वोट अधिक पाकर विजयी हुए। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए एआईयूडीएफ के उम्मीदवार की अच्छी स्थिति दिखती है, पर कांग्रेस और एआईयूडीएफ में इस बार वोट ज्यादा बंटे तो भाजपा की स्थिति बेहतर हो सकती है।कुल मिलाकर यहां त्रिकोणीय मुकाबला है।