scriptइन गांवों में इस पक्षी के मरने पर शोक जताते हैं आदिवासी | Tribals mourn the death of this bird in these villages | Patrika News

इन गांवों में इस पक्षी के मरने पर शोक जताते हैं आदिवासी

locationगुवाहाटीPublished: Feb 15, 2020 05:58:07 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

त्रिपुरा ( Tripura ) का बरमुरा ( Tribals love Hornbil like their children ) पहाड़ी गांवों के लोग हॉर्नबिल पक्षियों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करते हैं । बरमुरा पहाड़ी रेंज त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 60 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है। गांव वालों की मान्यता हैं कि विवाहित व्यक्ति होन्र्बिल पक्षी को मारता हैं तो या तो उसके पति की या पत्नी की मौत हो जायेगी।”

इन गांवों में इस पक्षी के मरने पर शोक जताते हैं आदिवासी

इन गांवों में इस पक्षी के मरने पर शोक जताते हैं आदिवासी

अगरतला(सुवालाल जांगु): त्रिपुरा ( Tripura ) का बरमुरा ( Tribals love Hornbil like their children ) पहाड़ी गांवों के लोग हॉर्नबिल पक्षियों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करते हैं । बरमुरा पहाड़ी रेंज त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 60 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है। इस गांव के अलावा बरमुरा हिल रेंज के अन्य गांव खोईबारी, होदराई और नारायनबारी भी हॉर्नबिल पक्षियों का सरंक्षण करते हैं। गांवों में हॉर्नबिल पक्षी की मौजूदगी शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता हैं।

हॉर्नबिल प्रजाति के 300 पक्षी हैं

इन गांवों में इस पक्षी के मरने पर शोक जताते हैं आदिवासी

त्रिपुरा में हॉर्नबिल प्रजाति के लगभग 300 पक्षी हैं और 60 पेड़ हैं जहां इन पक्षियों के घोंसले हैं। हॉर्नबिल पक्षी 80-90 फिट की ऊचाई पर पेड़ के खोखले तना में एक बिल बनाता और एक बार अंडा देने पर मादा होन्र्बिल तीन महीने के इसी बिल में रहती हैं। वही नर हॉर्नबिल पक्षी बिल के पास ही कीचड़ से एक बिलनुमा घोसला बना कर बाहर रहता और तीन महीने के लिए अपने जोड़ीदार मादा को भोजन खिलाता हैं। नर होन्र्बिल अपनी मादा जीवन साथी को नहीं छोड़ता हैं। आदिवासी समाज में लोग पति-पत्नी एक दूसरे का साथ न छोडऩे और एक-दूसरे के प्रति वफादार होने के लिए हॉर्नबिल पक्षी के जोड़े का उदाहरण देते हैं।

पेड़ कटने से हॉर्नबिल को खतरा
बरमुरा गांव के निवासी जॉय माणिक रूपिनि कहते हैं कि मैं 82 साल का हूं … हॉर्नबिल पक्षियों को अपने बच्चों की तरह पालते हुये बड़ा हुआ हूं…कोई कैसे अपने बच्चों को मारने की सोच सकता हैं जो आपके परिवार के हैं… हमारे लिए हॉर्नबिल पक्षी परिवार के सदस्य की तरह हैं। बरमुरा पहाड़ी रेंज पादप और जन्तु की विविधता के लिए जानी जाती हैं। लेकिन हाल ही के वर्षों में बड़े पेड़ कट जाने से इन दुर्लभ पक्षियों के लिए बड़ा ख़तरा पैदा हो गया हैं। इस स्थिति को जानने के बाद बरमुरा गांव के लोगों ने केला और पपीता के पौधे लगाने शुरू किये ताकि इन पक्षियों को घोसला बनाने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। गांववालों के मिलजुले प्रयासों से हॉर्नबिल पक्षियों के लिए गांव में पर्याप्त पेड़ लगाए गए। हॉर्नबिल पक्षी केला और पपीता के पेड़ों पर ही खाना खाते और घोसला बनाना पसंद करते हैं। हॉर्नबिल पक्षी के मरने पर गांवों के लोग शोक मनाते हैं। रिवाज़ में पपीता और केला रखकर हॉर्नबिल पक्षियों के आने का इंतजार करते हैं।

हॉर्नबिल को नहीं मारने का यह कारण है
बरमुरा गांव के सुकेश मंडल कहते हैं…इन पक्षियों की कोमल आवाज़ बहुत ही सुखदायक होती हैं। मंडल ने बताया कि गांव के लोगों के दिलों में इन पक्षियों के लिए जगह हैं। मंडल इन पक्षियों के साथ गांव वालों के इस जुड़ाव को एक मान्यता से जोड़ते हुये कहते हैं कि हम एक हॉर्नबिल को नहीं मारते हैं। हम कभी नहीं मारेंगे क्योंकि यह हमारा एक विश्वास हैं अगर एक विवाहित व्यक्ति होन्र्बिल पक्षी को मारता हैं तो या तो उसके पति की या पत्नी की मौत हो जायेगी।” गांव के लोगों का कहना हैं कि जिस प्राकृतिक आवाज़ से हमारे गांव में सुखमय वातावरण बनता हैं उसे हम क्यों गायब होने दें।

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