गुवाहाटी

त्रिपुरा: 88 उग्रवादी करेंगे सरेंडर, सरकार से हुआ समझौता

केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते अब लोगों का अग्रवाद से मोह भंग हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफाए के बाद अब पूर्वोत्तर में भी उग्रवाद में…

गुवाहाटीAug 10, 2019 / 06:51 pm

Nitin Bhal

त्रिपुरा: 88 उग्रवादी करेंगे सरेंडर, सरकार से हुआ समझौता

अगरतला (सुवालाल जांगू) . केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते अब लोगों का अग्रवाद से मोह भंग हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफाए के बाद अब पूर्वोत्तर ( North East ) में भी उग्रवाद में शामिल लोग मुख्यधारा से जुडऩे को बेताब हैं। इसी के चलते शब्बीर देबबरमा के नेतृत्व वाले नेशनल लिबरेशन फ्रंट त्रिपुरा ( NLFT-SD ) गुट ने हथियार त्यागने और मुख्यधारा में शामिल होने को लेकर केंद्र सरकार के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से जारी एक बयान के मुताबिक भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और शब्बीर देबबरमा के एनएलएफटी गुट के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर हुए हैं। एनएलएफटी-एसडी के सदस्य हिंसा का मार्ग को त्यागने, मुख्यधारा में शामिल होने और भारतीय संविधान में आस्था रखने के लिए सहमत हुए हैं। गुट के 88 कैडर हथियारों के साथ समपर्ण करने को सहमत हुए हैं। समर्पण करने वाले कैडर केन्द्रीय गृह मंत्रालय की 2018 की आत्मसमपर्ण-पुर्नवास योजन के अधीन लाभान्वित होंगे। त्रिपुरा सरकार आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को मकान, जॉब और शिक्षा पाने में सहायता करेगी।

1997 से है प्रतिबंधित

एनएलएफ़टी गैर-कानूनी निरोधक एक्ट के अंतर्गत 1997 से प्रतिबंधित है। सीमापार स्थित अपने कैंप से एनएलएफ़टी राज्य में हिंसक गतिविधियों के संचालन में शामिल रही है। राज्य में 2005 से 2015 के दौरान एनएलएफ़टी ने 317 हिंसक विद्रोही घटनाओं को अंजाम दिया। इनमें सुरक्षाबलों के 28 जवान और 62 नागरिकों की जान गई। 2015 में एनएलएफटी के साथ शांति वार्ता शुरू हुई और 2016 से राज्य में एनएलएफ़टी के द्वारा किसी प्रकार की हिंसा की घटना नहीं हुई हैं। एनएलएफ़टी के टॉप नेता मंतू कोलोई और कामिनी देबबरमा त्रिपुरा की माणिक सरकार के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार के समय समर्पण कर चुके हैं। हालांकि एनएलएफ़टी के चेरपर्सन बिसवा मोहन देबबरमा उफऱ् डी बाइथंग केंद्र के साथ बातचीत का हिस्सा नही बने हैं।

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