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आतंकी संगठनों में फूंक सकते है जान…
नागरिकता कानून संशोधन विरोधी मंच ने कहा है कि इस विधेयक के खिलाफ सड़क के आंदोलन से लेकर कानून तक की लड़ाई लड़ी जाएगी। मंच ने कहा कि असमिया का परिचय बनाए रखने के लिए इसका विरोध जरुरी है। वहीं असम पुलिस का कहना है कि विधेयक के खिलाफ जो जनमत तैयार हो रहा है वह आतंकी संगठनों में नई जान फूंक सकता है। मंच के अध्यक्ष तथा राज्य के विशिष्ट बुद्धिजीवी डॉ. हीरेन गोहाईं ने कहा कि यदि विधेयक कानून में तब्दील होता है तो असमिया लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे। धर्म के आधार पर नागरिकता दिए जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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अलगाव के भाव को भूना सकते हैं आतंकी…
उधर असम पुलिस ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और साइबर अपराध इकाई को स्थिति पर नजर बनाए रखने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि लोगों में जो अलगाव की भावना पैदा हो रही है आतंकी उसको भूना सकते हैं।
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‘उल्फा’ की भर्ती प्रक्रिया जारी…
उल्फा द्धारा नई भर्तियां किए जाने की भी खुफिया जानकारियां हैं। ऊपरी असम में पुलिस उल्फा और नगा आतंकियों पर नजर रखे हुए है। वहीं निचले असम में सक्रिय कमतापुर लिबरेशन आर्गेनाइजेशन (केएलओ) पर नजर रखी जा रही है। केएलओ का उल्फा के साथ संबंध है। असम पुलिस की पश्चिमी रेंज के उप महानिरीक्षक रौनक अली हजारिका ने कहा कि स्थिति काफी संवेदनशील है। हम सभी संगठनों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। पिछले साल विधेयक के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान उल्फा द्वारा व्यापक स्तर पर भर्तियां किए जाने की बात सामने आई थी। पुलिस ने कई ऐसे युवकों को पकड़ा था जो उल्फा में जा रहे थे।