scriptWater flow reduced in Subansiri river of Assam | असम की सुबनसिरी नदी में पानी का प्रवाह हुआ कम | Patrika News

असम की सुबनसिरी नदी में पानी का प्रवाह हुआ कम

locationगुवाहाटीPublished: Oct 29, 2023 04:50:15 pm

Submitted by:

Krishna Das Parth

2,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना हुई प्रभावित
-बड़े पैमाने पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया शुरू

असम की सुबनसिरी नदी में पानी का प्रवाह हुआ कम
असम की सुबनसिरी नदी में पानी का प्रवाह हुआ कम
गुवाहाटी . असम की सुबनसिरी नदी में पानी का प्रवाह कम हो गया है। जिससे 2,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना प्रभावित हुई है। इससे नाराज हो असम के लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश में एक निर्माणाधीन बांध पर भारी भूस्खलन के बाद यह समस्या खड़ी हुई है।
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में से एक ने बताया कि हम हम पहले ही सिक्किम में बांधों के प्रतिकूल प्रभाव को देख चुके हैं कि कैसे वे टूट गए और कितने लोग मारे गए। अब सुबनसिरी में पानी की अचानक कमी ने हमें चिंतित कर दिया है। हम पूरी रात सोते नहीं हैं क्योंकि हम नदी के किनारे रहते हैं। एक अन्य प्रदर्शनकारी ग्रामीण ने कहा, "हम चिंतित हैं, अचानक पानी का भारी बहाव हो सकता है, हम नदी पर लगातार नजर रख रहे हैं, हम बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं, हमने नावें तैयार रखी हैं, हम दहशत में हैं।"
भूस्खलन ने अरुणाचल प्रदेश में बांध के निचले हिस्से में असम के लखीमपुर जिले में अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। 2,000 मेगावाट की निचली सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना का बांध अरुणाचल प्रदेश में विकसित किए जा रहे मेगा बांधों में से एक है। भूस्खलन के कारण सुबनसिरी नदी में एक डायवर्जन सुरंग अवरुद्ध हो गई, जिससे नीचे की ओर जल प्रवाह में भारी कमी आ गई।
मेगा बांध डेवलपर नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन ने एक बयान में कहा, "यह सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में उपयोग में आने वाली एकमात्र डायवर्जन सुरंग थी, क्योंकि अन्य चार डायवर्जन सुरंगों को पहले ही अवरुद्ध कर दिया गया था।" एनएचपीसी के वरिष्ठ सलाहकार एएन मोहम्मद ने बांध स्थल पर संवाददाताओं से कहा, "हम स्वीकार करते हैं कि हमें कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है और अब हमारा ध्यान डायवर्जन सुरंगों के गेट को बंद करने पर है ताकि भूस्खलन उन पर प्रभाव न डालें।"
सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों से मछली पकडऩे, तैराकी, स्नान और नौकायन जैसी गतिविधियों से दूर रहने को कहा गया है। लोगों से अपने मवेशियों को नदी से दूर रखने के लिए भी कहा गया है। इससे पहले, भूस्खलन ने चार अन्य सुरंगों को अवरुद्ध कर दिया था। पिछले साल अप्रैल में, टेल रेस चैनल निर्माण गतिविधियों के कारण बिजलीघर की सुरक्षा दीवार ढह गई थी। पिछले तीन वर्षों में, परियोजना स्थल चार बड़े भूस्खलनों से प्रभावित हुआ है।
ताजा घटना ने पूर्वी हिमालय क्षेत्र में नदियों पर मेगा बांधों को लेकर बढ़ती चिंताओं को और बढ़ा दिया है। सुबनसिरी, ब्रम्हपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी होने के नाते, एक बड़े पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है। यदि नदी का प्रवाह बहाल करने में समय लगा तो इसका असर व्यापक हो सकता है।
"हाल ही में पूर्वी हिमालय में जलविद्युत परियोजनाओं ने एक बार फिर बड़े मुद्दे को उठाया है कि जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने से पहले पर्यावरणीय जोखिमों का पता कैसे लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, सिक्किम में हिमनद झील के फटने की घटना, जहां बांध इसी तरह के कारण बह गया था निचली सुबनसिरी परियोजना का मामला, जहां वर्षों से लोगों ने न केवल डाउनस्ट्रीम प्रभाव बल्कि पर्यावरणीय जोखिम कारकों के बारे में भी चिंता जताई है, "पर्यावरण और जलविद्युत के शोधकर्ता नीरज वाघोलिकर ने कहा।
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