इन मांगों के चलते आए बैकफुट पर
एमबीडीपीएफ के महासचिव ब्रूनो मशा ने कहा कि हमने गृह मंत्रालय को बता दिया है कि हमारे समुदाय को शर्तें मंज़ूर नहीं हैं। वे (ब्रू) मिज़ोरम में मंदिर, सामूहिक आवास बनाने की अनुमति और खेती करने की ज़मीन चाहते हैं। यह मांगें मिज़ोरम सरकार को मंज़ूर नहीं हैं। वहीं गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस कहा कि हमारे प्रतिनिधि त्रिपुरा में मौजूद हैं, हमें रिपोर्ट का इंतजार है। हम अपने समझौते पर दृढ़ हैं और अब भी जो लोग लौटना चाहते हैं, उनके लिए समझौता अब भी वही है।
साइन करने वाले ने दिया पिछे हटने का यह तर्क
इस समझौते से अलग होने की घोषणा करते हुए एमबीडीपीएफ के अध्यक्ष ए सविबन्गा, जिन्होंने इस समझौते पर दस्तखत किए थे, ने कहा कि वे ब्रू लोगों के एमबीडीपीएफ नेताओं के खिलाफ कड़े प्रतिरोध के चलते इस समझौते से पीछे हट रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार करीब 5 हज़ार ब्रू शरणार्थियों ने त्रिपुरा में एमबीडीपीएफ के दफ्तर को घेर लिया और फौरन इस समझौते से इनकार करने की मांग रखी। उन्होंने एमबीडीपीएफ नेताओं को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की भी धमकी दी, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचे।