अभी केवल सरकारी कर्मचारियों पर लागू
हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में इसके नियम को हरी झंडी दिखाई गई। राज्य के वित्त मंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा ने आज एलान किया कि अब यह लागू करने की स्थिति में आ गया है। प्रणाम आयोग का गठन कर इसे 2 अक्तूबर से लागू कर दिया जाएगा। आयोग में एक अतिरिक्त मुख्य सचिव या इससे बड़े स्तर का अधिकारी मुख्य आयुक्त होगा जबकि समाज के प्रमुख दो लोगों को आयुक्त के रुप में रखा जाएगा। पीड़ित माता-पिता पहले अपने बेटे-बेटियों के विभाग के डीडीओ के पास आवेदन करेंगे। लेकिन इसमें मामला नहीं सुलझा तो विभाग के निदेशक के पास अपील कर सकेंगे। यहां भी मामला नहीं सुलझा तो आयोग के पास मामला ले जाया जा सकेगा। डा.शर्मा ने कहा कि फिलहाल हम सरकारी कर्मचारियों तक ही इसे सीमित रख रहे हैं। आगे इसका विस्तार राज्य सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों और निगम तक किया जा सकता है।
प्राइवेट सेक्टर पर भी लागू करने पर हो रहा विचार
हम यह भी विचार करेंगे कि प्राइवेट स्तर में काम करनेवाले लोगों के लिए भी इसे किया जा सकता है क्या? मंत्री ने कहा कि मामले का निपटान एक महीने के अंदर करने का प्रावधान रखा गया है। राज्य में अकसर बेटे-बेटियों द्वारा अपने माता-पिता का ख्य़ाल न रखने की खबरें आती रही हैं। हाल ही में एक बेटे के चलते शिवसागर में एक कलाकार और उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में बेटे को बहन की शिकायत पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसकी पत्नी अब भी फरार है।