कट ऑफ ईयर 24 मार्च 1971 स्वीकार
मालूम हो कि छह वर्षीय असम आंदोलन के बाद असम समझौते में विदेशियों के लिए कट ऑफ ईयर 24 मार्च 1971 स्वीकार किया गया था। अब राज्य में यही कट ऑफ ईयर है।इसके बाद आए लोगों को राज्य के लोग स्वीकार करने के पक्ष में नहीं। सरकार से स्वीकृत बांसकांदी स्थित दारुल उलूम मदरसा के अध्य़क्ष शेख मौलाना मोहम्मद ने कहा कि असम में नागरिक पंजी(एनआरसी) के अद्यतन का दूसरा प्रारुप प्रकाशन 30 जून को होगा।
प्रवेश के लिए आवेदन पत्र 23 से 25 जून तक मिलेंगे
121 साल पुराने मदरसा ने इससे पहले प्रवेश के लिए लिगेसी डाटा संग्लन करने का निर्देश दिया है।विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए 1971 के पहले के कागजात या लिगेसी डाटा आवेदन के साथ संग्लन करने होंगे।प्रवेश के लिए आवेदन पत्र 23 से 25 जून तक मिलेंगे और कक्षाएं 4 जुलाई से शुरु होंगी।मदरसा के अध्यक्ष ने कहा,मदरसाओं को विभिन्न लोग कट्टरवादी और जेहादियों की शरणस्थली बताते हैं।इसलिए माहौल बदलने के लिए प्रवेश में कठोर नियम लागू किए गए हैं।
देशप्रेम का अनूठा उदाहरण पेश
उन्होंने कहा कि यह मदरसा इस्लामिक शिक्षा के साथ ही देशप्रेम का अनूठा उदाहरण पेश कर रहा है।असम के किसी भी शिक्षा संस्थान ने विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए इस तरह लिगेसी डाटा को अनिवार्य नहीं किया है।शिक्षा संस्थान मैरिट को ही तवज्जो देते हैं।
नागरिकता संशोधन विधेय़क का विरोध
असम में नागरिकता संशोधन विधेय़क को लेकर भारी विरोध चल रहा है और एनआरसी में काफी लोगों के नाम न आने की आशंका है।इन सबके बीच मदरसा का यह एलान सबका ध्यान खींच रहा है।