एनआरसी में काफी लोगों के नाम न आने की आशंका
1951 की एनआरसी का अद्यतन करने वाला असम देश का पहला राज्य है। इसके जरिए राज्य में 24 मार्च 1971 के बाद आए विदेशियों की पहचान की जाएगी। हाजेला ने कहा कि बाढ़ की वजह से राज्य के 70 एनआरसी सेवा केंद्रों का कामकाज प्रभावित हुआ है। ये कछार, करीमगंज और हैलाकांदी में हैं। एनआरसी में काफी लोगों के नाम न आने की आशंका है। इसके मद्देनजर केंद्र राज्य की कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की अतिरिक्त 100 कंपनियां भेज रहा है। एनआरसी कार्यालय की ओर से लोगों को जागरुक करने के लिए प्रचार चलाया जा रहा है ताकि लोग आशंका कर स्थिति न बिगाड़ें। एनआरसी कार्यालय का कहना है कि जिसके नाम नहीं रहेंगे वे भी कागजातों के साथ फिर आवेदन कर सकेंगे।
संशोधन का भी विरोध
बता दें कि असम समझौते के अनुसार विदेशियों के लिए कट ऑफ ईयर 24 मार्च 1971 है। इसके बाद आए विदेशियों का बोझ असम लेना नहीं चाहता। असम में नागरिकता कानून संशोधन का भी विरोध हो रहा है। यदि यह संशोधित विधेयक पारित हुआ तो असम समझौते का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। भाजपा बांग्लादेशी हिंदुओं की समर्थक मानी जाती है। लेकिन असम के विरोध को देखते हुए उसके नेताओं ने कहा है कि एनआरसी का प्रारुप आने के बाद वे इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करेंगे।