scriptनिगम में हुए 1 करोड़ 17 लाख के घोटाले की दोबारा नहीं होगी जांच, कोर्ट ने खारिज किए आरोपियों के आवेदन | 1 crore 17 lakh scam in the corporation will not be investigated again | Patrika News

निगम में हुए 1 करोड़ 17 लाख के घोटाले की दोबारा नहीं होगी जांच, कोर्ट ने खारिज किए आरोपियों के आवेदन

locationग्वालियरPublished: Feb 17, 2020 11:24:06 pm

Submitted by:

Rahul rai

आरोपियों ने कहा था कि इस मामले में लोकायुक्त ने सही जांच नहीं की है, इसलिए फिर जांच कराई जाए

निगम में हुए 1 करोड़ 17 लाख के घोटाले की दोबारा नहीं होगी जांच, कोर्ट ने खारिज किए आरोपियों के आवेदन

निगम में हुए 1 करोड़ 17 लाख के घोटाले की दोबारा नहीं होगी जांच, कोर्ट ने खारिज किए आरोपियों के आवेदन

ग्वालियर। विशेष न्यायालय ने नगर निगम के जलप्रदाय विभाग में हुए एक करोड़ 17 लाख 50 हजार रुपए से अधिक के घोटाले की फिर जांच कराने से इनकार कर आरोपियों के आवेदन को खारिज कर दिया है। आरोपियों ने कहा था कि इस मामले में लोकायुक्त ने सही जांच नहीं की है, इसलिए फिर जांच कराई जाए। वहीं न्यायालय ने विभाग के तत्कालीन सहायक यंत्री अजय पांडवीय को यह कहते हुए डिस्चार्ज करने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं।
नगर निगम के जलप्रदाय विभाग के तत्कालीन सहायक यंत्री अजय पांडवीय, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री केके श्रीवास्तव तथा तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आरके बत्रा ने इस मामले की पुन: जांच कराने के लिए आवेदन दिया था। न्यायालय ने सभी के आवेदनों को खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच के दौरान उन्हें पर्याप्त अवसर प्रदान किया गया। प्रकरण में उनके खिलाफ जो तथ्य हैं उसे देखते हुए फिर जांच के आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
दो हजार फर्जी फाइलें की थीं तैयार
नगर निगम के जलप्रदाय विभाग में हुए घोटाले की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने मामले को जांच में लिया था। शिकायत में बताया गया कि अधिकारियों व ठेकेदारों ने दो हजार से अधिक फर्जी फाइलें तैयार कर भुगतान प्राप्त कर नगर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। लोकायुक्त पुलिस ने जब जांच शुरू की तो उसे ऐसी 1175 फर्जी फाइलें हाथ लगी थीं। बाकी फाइलें अधिकारियों ने ठिकाने लगा दी थीं। वर्ष 2004 में संधारण कार्य के नाम पर योजनाबद्ध तरीके से 1175 फाइलें तैयार की थीं। निविदा के झंझट से बचने के लिए प्रत्येक फाइल 10 हजार रुपए की तैयार की।
जहां हैंडपंप नहीं थे वहां कर दी उनकी मरम्मत
तफर्जीवाड़ा करन वालों ने यह नहीं देखा कि जो फाइल बनाई गई है वहां हैंडपंप है भी या नहीं। जांच में जहां हैंडपंप की मरम्मत करना बताया गया था वहां हैंडपंप ही नहीं पाए गए। इसी तरह जहां नलकूप की मरम्मत करना बताया गया, वहां नलकूप नहीं थे। इस भ्रष्टाचार में चुनिंदा अधिकारी और उनके चहेते ठेकेदार शामिल थे। जो सामान खराब बताया गया वह स्टोर में जमा नहीं कराया गया। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में पूर्व निगम आयुक्त विवेक सिंह सहित 11 आरोपियों पर जांच के बाद धारा 420, 471, 120 बी के तहत मामला दर्ज कर चालान पेश किया था।
एक भी तरीके का नहीं हुआ पालन
विशेष लोक अभियोजक अरविंद श्रीवास्तव का कहना था कि नगर निगम में तीन तरीकों से काम कराया जाता है, लेकिन इन फाइलों के निर्माण में एक भी तरीके का उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर किसी क्षेत्र में कोई कार्य कराना हो तो पार्षद अपने लेटर पेड पर निगम को पत्र लिखता है, इसके बाद उसकी फाइल तैयार होती है। क्षेत्र का अधिकारी यदि उस क्षेत्र में समस्या है तो उस पर फाइल तैयार कर उसे भेजता है। जनता द्वारा ज्ञापन सौंपे जाने पर भी फाइल तैयार कर कार्य कराया जाता है। इस मामले में न तो पार्षद और न जनता और न ही अधिकारी ने कोई फाइल भेजी थी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो