एक नजर किसी भी दुर्घटना पर 108 और 100 नंबर डायल करें। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि किसी एक्सीडेंटल मरीज को आप अस्पताल पहुंचाते हैं, तो आपसे किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ नहीं की जाएगी।
यदि कोई एक्सीडेंट आपको दिखता है तो गाड़ी रोककर उसे हॉस्पिटल पहुंचाएं। जिंदगी बचाने से बड़ा और कोई दूसरा काम नहीं हो सकता। हार्ट अटैक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. पुनीत रस्तोगी ने बताया कि हार्ट पेशेंट अपने साथ डिस्प्रिन की गोली साथ रखें। यदि कभी अटैक पड़ता है, तो पेशेंट को पानी में घोलकर दे दें। यह चबाकर भी खाई जा सकती है। वहीं हार्ट बंद होने पर उसके सीने पर हाथ से पुश करें। सांस न आने पर मुंह से सांस दें और जल्द से जल्द पेशेंट को हॉस्पिटल पहुंचाएं।
ये ना करें- हार्ट में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर कुछ देर रुकने या सुबह होने का इंतजार न करें। तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल पहुंचे। फीवर डॉ. आलोक पाठक ने बताया कि यदि व्यक्ति को बुखार अधिक है, तो उसे ठंडे पानी की पट्टी रखें। फिरभी कंट्रोल नहीं हो रहा, तो
पूरे शरीर को ठंडे पानी की पट्टी लपेट दें। बुखार उतर जाएगा। अब उसे हॉस्पिटल लेकर जाएं। ये ना करें- फीवर आने पर अधिक कपड़े न पहनें और न ही चादर ओढ़कर लेंटे।
एक्सीडेंट ऑर्थोपेडिक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने बताया कि एक्सीडेंट होने पर यदि व्यक्ति के ब्लीडिंग हो रही है, तो अपने पास के किसी भी कपड़े से उस जगह को बांध दे। यदि हाथ या पैर में फैक्चर है और वह लटक रहे हैं, तो किसी डंडा के सहारे उसे बांध दें। मुंह में यदि गंदगी है, तो साफ कर दें। सांस न ले पाने पर तलवे को रगड़ें। गर्दन टेढ़ी हो तो उसे सीधा करने की कोशिश न करें।
ये ना करें- यदि पेशेंट जख्मी है और पड़ा है, तो उसे खड़ा करने की कोशिश न करें। उसे उसी अवस्था में हॉस्पिटल तक पहुंचाएं। लूज मोशन लूज मोशन अधिकतर बच्चों के लिए घातक होता है। पीडियाट्रिक्स डॉ. विनीत चतुर्वेदी ने बताया कि यदि बच्चे को लूज मोशन हो रहे हैं, तो उसे थोड़ी-थोड़ी देर में ओआरएस का घोल पिलाते रहें। यदि बच्चा सुस्त हो रहा है, तो तत्काल डॉक्टर से एडवाइज लें।
ये ना करें- अपने मन से बच्चों को किसी भी प्रकार की दवा न दें।