scriptम्यूजिक यूनिवर्सिटी का १०वां स्थापना दिवस समारोह | 10th raising day celebration of Music University | Patrika News

म्यूजिक यूनिवर्सिटी का १०वां स्थापना दिवस समारोह

locationग्वालियरPublished: Sep 20, 2018 07:08:08 pm

Submitted by:

Harish kushwah

सुरों की अठखेलियों से झूमा संगीत का मंदिर

raising day celebration

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ग्वालियर. हर दिन जिस शिक्षा के मंदिर में संगीत के सात सुरों का पाठ पढ़ाया जाता है। आज वहीं प्रदेश के कलाकारों ने अपनी आमद दर्ज कराई और एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुबह से शुरू हुईं प्रस्तुतियां देर शाम तक चलती रहीं और सुरों की अठखेलियों से संगीत का मंदिर गूंजता रहा। मौका था म्यूजिक यूनिवर्सिटी के १०वें स्थापना दिवस समारोह का। दो दिवसीय समारोह के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में सांसद अनूप मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथि संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री योगेंद्र बाबा, डॉ. एएस भल्ला उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. लवली शर्मा ने की। कार्यक्रम का संयोजन प्रो. रंजना शर्मा और संचालन डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत देश की पहली संतूर वादिका वर्षा अग्रवाल ने की। संतूर वादन में उन्होंने राग चारुकेशी पेश किया, जिसमें उन्होंने विभिन्न तालों में निबद्ध रचनाएं प्रस्तुत कीं। तीन ताल, एक ताल, धमार तालों के साथ उनकी प्रस्तुति खूब सराही गई। उनके साथ संगत कलाकार के रूप में पंडित ललित महंत ने तबले पर संगत की और उनके साथ उन्होंने जुगलबंदी भी की। संगीत संकाय के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
भरतनाट्यम ने मोहा मन

भोपाल की लता सिंह मुंशी ने भरतनाट्यम पेश किया। उन्होंने शुरुआत श्रीगणेश वंदना से की। दूसरी प्रस्तुति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाश्रर स्रोत की रही। यह राग मालिका एवं ताल में निबद्ध था। इसके बाद प्रो एलएन भावसार ने ललित कला में पौराणिक और एेतिहासिक कला दृष्टि पर प्रकाश डाला। इसके पूर्व चित्रकला प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया।
सांझ भई पिया नहीं आए …

जबलपुर के विवेक करमहे ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। उन्होंने रागश्री में विलंबित तिलवाड़ा वारी जाऊ रे सावरिया पेश किया। इसके बाद राग गौड़ सारंग में तीन ताल में पपीहा बुलाए प्रस्तुति दिया। अगली प्रस्तुति रागश्री तीन ताल में दी, जिसके बोल थे चलो री माई राम सिया दरसन को। इसी प्रकार दु्रत एक ताल में उन्होंने सांझ भई पिया नहीं आए पेश कर खूब तालियां बटोरीं।
कलाओं के प्रति बढ़ रहा रुझान :

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनूप मिश्रा ने कहा कि ग्वालियर एक की नगरी है। इसमें कला के नए आयाम स्थापित होते हैं और विश्वविद्यालय की स्थापना के उपरांत ग्वालियर में कलाओं के प्रति रुझान और बढ़ा है। योगेंद्र बाबा ने कहा कि 19 जनवरी से 4 मार्च तक संस्कार भारती द्वारा कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सभी लोग अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। कुलपति प्रो. शर्मा भावुक होते हुए बोलीं कि अल्प संसाधनों में मैं विश्वविद्यालय को प्रगति की ओर ले जाना चाहती हूं, फिर भी आरोप लग रहे हैं।
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