दो सगे भाई सहित एक साथ उठी चार अर्थी,हर आंख से निकल रहे थे आंसू,वीडियो में देखें कैसे आई मौत
दो सगे भाई सहित एक साथ उठी चार अर्थी,हर आंख से निकल रहे थे आंसू,वीडियो में देखें कैसे आई मौत
ग्वालियर। शहर में गुरुवार की शाम को एक दिल दहला देने वाले घटना घटित हुई। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह हैरान हो गया और उसकी आंख से आंसू निकल आए। फूल डोल ग्यारस पर गुरुवार को गणेश प्रतिमा विसर्जित करने के दौरान महाराजपुरा गांव में तीन किशोर अवैध खदान के गड्डे में भरे पानी में डूब गए। अपने भाई को डूबता देख एक और किशोर उन्हें बचाने कूदा और वह भी पानी में समा गया। घटना में चारों की मौत हो गई। मृतकों में तीन भाई और एक पड़ोसी हैं। हादसे का पता चलते ही गांव वाले खदान में कूदे, लेकिन तब तक चारों की मौत हो चुकी थी।
ग्रामीणों के अनुसार सतीश पुत्र शिशुपाल बघेल (13) उसके ताऊ का बेटा अजय पुत्र कल्याण सिंह (14) और पड़ोसी शिवम पुत्र दयाराम गौड़ (14) प्रतिमा लेकर पानी में उतरे थे। प्रतिमा को पानी में छोड़ते वक्त तीनों गोते खा गए। वे तैरना नहीं जानते थे। सतीश को डूबता देखा तो उसके भाई सूरज (17) ने पानी में छलांग लगाई, लेकिन उसे भी तैरना नहीं आता था। चारों पानी में समा गए। ग्रामीणों ने पानी में करीब आधे घंटे तक खंगाला तो चारों मिट्टी में धंसे मिले। उन्हें तत्काल गोला का मंदिर स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया।
चार लडक़ों को कैसे लील गई अवैध मुरम की खदान में सतीश, सूरज, अजय बघेल और शिवम गौड़ की डूबकर मौत से गांव मातम में डूब गया। सूरज और सतीश की मां पुष्पा बघेल बेसुध थीं। पति की मौत के बाद तीन बेटे ही उनका सहारा थे। बड़ा बेटा सूरज (१७) पुट्टी का काम कर घर की गुजर बसर करता था। तैरना नहीं जानने के बावजूद छोटे भाई सतीश को डूबता देख वह पानी में कूद गया, लेकिन वह भी डूब गया। उनके चबूतरे पर ढांढस बंधाने वालों की भीड़ थी।
लेकिन पुष्पा उनके जेठ कल्याण और पड़ोसी दयाराम गौड़ को क्या दिलासा दें, उनके दुख में शामिल पड़ोसियों को समझ नहीं आ रहा था। लोग कभी खदान को कोस रहे थे, लोग नहीं समझ पा रहे थे आखिर ८-१० फीट गहरी दिखने वाली खदान चार लडक़ों को कैसे लील गई। ऐसा क्या हुआ जो बच्चे में उसमें समाते चले गए। गांव की टोली जब गणपति लेकर खदान पर पहुंची थी तब उसमें बच्चे कूदकर तैर रहे थे।
किसी को यहां खतरे का आभास नहीं था। लल्ला तोमर ने बताया ऑटो से प्रतिमा को सात बच्चे उतार कर पानी में उतरे थे। उनमें चार बीच पानी तक पहुंचने से पहले बाहर निकल आए। सतीश, अजय और शिवम ही प्रतिमा को लेकर बीच में गए थे। सतीश ने पहले गोते खाए। लेकिन समझ में नहीं आया कि वह डूब रहा है। तीनो चीखे, हमें बचाओ, डूब रहे हैं तब तक सतीश पानी में समा चुका था।
पिलर के लिए खोदे गड्ढे में समा गए छोटू निवासी महाराजपुरा गांव के मुताबिक इस खदान से मुरम की अवैध खुदाई होती रही है। कुछ समय पहले यहां पहाडी पर बनी इमारत के लिए भी मुरम इसी खदान से खोदी गई थी। तब खदान में कुछ गहरे गडढ़े इस तरीके से खोदे गए थे कि उनमें पिलर खड़े करने हों। चारों लडक़ों के शव इन्हीं गडढ़ों में फंसे मिले हैं।
पैर फिसल रहे थे, पानी खींच रहा था चारों को डूबते देखकर उन्हें बचाने के लिए पानी में कूदा था, लेकिन खदान के अंदर जमीन पर पैर फिसल रहे थे। ऐसा लग रहा था कि पानी नीचे की तरफ खींच रहा है। मदद के लिए शोर मचाया तो दो राहगीर भी वाहन खड़ा कर खदान में कूदे लेकिन वह भी मदद नहीं कर सके। बीच पानी में आने से पहले वापस लौट गए।
साथियों को बचाने के लिए बाहर खड़े लोगों ने बेल्ट और साफी बांध कर पानी में फेंकी जिसे पकड़ कर वह बाहर आ सके। लेकिन वह बीच पानी तक नहीं पहुंच सकी। ऐसा लगा कि डूब जाऊंगा तो किसी तरह बाहर निकल कर खदान के पास पड़े सरिये को सतीश अजय, शिवम और सूरज तक बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन कोई भी सरिया नहीं पकड़ सका। जैसा कि दोस्तों को बचाने के लिए खदान में कूदे लल्ला तोमर ने पत्रिका को बताया
उसकी कमाई से ही चलता था घर सूरज और सतीश : दोनों सगे भाई थे। पिता शिशुपाल बघेल का निधन हो चुका है। मां पुष्पा के अलावा मझेला भाई पप्पू है। सूरज पुट्टी का कारीगर था। उसकी कमाई पर ही घर चलता था। अजय बघेल : पिता कल्याण बघेल गांव के पास विश्वविद्यालय से कुछ दूरी पर चाय का ठेला लगाकर गुजर बसर करते हैं। बेटे अजय से उन्हें काफी उम्मीदें थीं।
शिवम गौड़ : पिता दयाराम गौड़ दूध बेचकर घर का गुजारा करते हैं। कडी मेहनत की कमाई से पैसा बचाकर शिवम को पढ़ा रहे थे। परिवार को उम्मीद थी कि बेटा बड़ा होकर उनके बुढापे का सहारा बनेगा, लेकिन इस हादसे ने गणपति और ताजिया विसर्जन को लेकर सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्रशासन ने शहर में चुनिंदा तालाब को विसर्जन स्थल चिहिंत कर वहां सुरक्षा के दावे किए हैं, लेकिन शहर और देहात के तमाम तालाब और खदानों पर सुरक्षा का धनीधोरी कोई नहीं है।
यहां विसर्जन के लिए जाने वालों को कैसे रोका जाएगा। इसका कोई इंतजाम नहीं है। महाराजपुरा गांव के लोगों के मुताबिक उन्हें नहीं पता था कि गणेश विसर्जन के लिए कौन से ठिकाने प्रशासन ने चिह्नित किए हैं। बच्चे तो तिघरा जाने की जिद कर रहे थे। कुछ लोगों ने वहां ज्यादा पानी को खतरा बताकर उन्हें रोक लिया था।
पोस्टमार्टम को तैयार नहीं थे शिवम के परिजन बेटे के शव का पीएम कराना नहीं चाहते थे। पिता दयाराम बेटे के शव को निजी अस्पताल से घर ले गए। उनका कहना था कि बेटा गणेश प्रतिमा विसर्जित करते समय हादसे का शिकार हुआ है, फिर उसके शव के साथ छेड़छाड़ क्यों की जाए। गांव वालों और पुलिस ने उन्हें समझाया, तब शव को पीएम के लिए भेजा। उधर गांव वालों की जिद थी कि चारो शव रातभर पोस्टमार्टम हाऊस में नहीं रखेंगे, रात में ही पोस्टमार्टम किया जाए। लोगों की जिद पर प्रशासन ने रात करीब 8.30 बजे पीएम कराकर शव परिजन को सुपुर्द किए।
परिजनों को 4~4 लाख रुपए की सहायता एडीएम संदीप केरकेट्टा ने बताया कि खदान में डूबे चारों किशारों के परिजन को ५-५ हजार रुपए की तात्कालिक आर्थिक सहायता दी गई है। इन परिवारों को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगाी।
पांचवे की तलाश में खंगाली खदान चार लडक़ों के शव खदान से निकालने के बाद बात फैल गई कि खदान में पांच लडक़े डूबे हैं। इससे सनसनी हो गई। फायर बिग्रेड और एसडीआरएफ की टीम खदान पर पहुंच गई, रात करीब ९ बजे तक गोताखोरों की टीम ने खदान में डुबकी लगाकर उसे खंगाला लेकिन पानी में कोई नहीं मिला।