फोरम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, सदस्य आरके लाडिय़ा, एसएस मंडलोई ने रोशनी घर में सुनवाई की। फोरम में आधा दर्जन फैसले सुरक्षित किए गए। बिरला नगर निवासी शालिगराम त्रिपाठी के घरेलू बिजली कनेक्शन को बिजली कंपनी के अधिकारियों ने 2006 में कमर्शियल कनेक्शन बताते हुए अधिक बिल देना शुरू कर दिया।
इसे लेकर उन्होंने कई बार बिजली अफसरों से मुलाकात की और बिल मे संशोधन कराना चाहा, लेकिन बिजली अफसर उनकी बात को अनसुना करते रहे। इस दौरान बिल बढ़ते-बढ़ते 2 लाख 25 हजार का हो गया। परेशान होकर त्रिपाठी ने 8 महीने पहले विद्युत शिकायत निवारण फोरम में शिकायत कर दी।
कमर्शियल का साक्ष्य नहीं दे सकी बिजली कंपनी
सुनवाई के दौरान बिजली कंपनी फोरम में घरेलू बिजली कनेक्शन का उपयोग व्यवसाय में किए जाने का साक्ष्य नहीं दे सकी। इस पर फोरम ने घरेलू कनेक्शन के टैरिफ के हिसाब से बिल जमा करने का आदेश दिया। इससे उपभोक्ता को डेढ़ लाख रुपए की राहत मिली।
सुनवाई के दौरान बिजली कंपनी फोरम में घरेलू बिजली कनेक्शन का उपयोग व्यवसाय में किए जाने का साक्ष्य नहीं दे सकी। इस पर फोरम ने घरेलू कनेक्शन के टैरिफ के हिसाब से बिल जमा करने का आदेश दिया। इससे उपभोक्ता को डेढ़ लाख रुपए की राहत मिली।
आकलित खपत का बिल दिया जा रहा था
इसी तरह गुढ़ा क्षेत्र निवासी बिजली उपभोक्ता कुलदीप सिंह कुशवाह ने तीन महीने पहले फोरम के समक्ष आवेदन देते हुए शिकायत की थी कि मीटर बदले जाने के बाद भी नए मीटर की रीडिंग का बिल नहीं दिया जा रहा है। फोरम के सदस्यों ने बताया कि उपभोक्ता के मीटर में गड़बड़ी होने पर बिजली कंपनी द्वारा आकलित खपत का बिल दिया जा रहा था। फरवरी 2018 में मीटर बदल गया, फिर भी नए मीटर की रीडिंग न लेकर आकलित खपत का बिल मई तक दिया गया। इस मामले का फैसला सुरक्षित कर लिया गया है।
इसी तरह गुढ़ा क्षेत्र निवासी बिजली उपभोक्ता कुलदीप सिंह कुशवाह ने तीन महीने पहले फोरम के समक्ष आवेदन देते हुए शिकायत की थी कि मीटर बदले जाने के बाद भी नए मीटर की रीडिंग का बिल नहीं दिया जा रहा है। फोरम के सदस्यों ने बताया कि उपभोक्ता के मीटर में गड़बड़ी होने पर बिजली कंपनी द्वारा आकलित खपत का बिल दिया जा रहा था। फरवरी 2018 में मीटर बदल गया, फिर भी नए मीटर की रीडिंग न लेकर आकलित खपत का बिल मई तक दिया गया। इस मामले का फैसला सुरक्षित कर लिया गया है।