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घर के बाहर से आती 120 डेसिबल आवाज से 12 दिन बाद मिली, 14 लाख लोगों को राहत

locationग्वालियरPublished: Jul 05, 2022 07:03:29 pm

Submitted by:

prashant sharma

-60 डेसिबल से ज्यादा आवाज पर प्रतिबंध, लेकिन प्रशासन ने किसी को नहीं रोका-नगर निगम चुनाव प्रचार के लिए सारे मानक ताक पर रख हो रहा था कानफोड़ू शोर

घर के बाहर से आती 120 डेसिबल आवाज से 12 दिन बाद मिली, 14 लाख लोगों को राहत

घर के बाहर से आती 120 डेसिबल आवाज से 12 दिन बाद मिली, 14 लाख लोगों को राहत

ग्वालियर। नगर निगम के 66 वार्डों में निवासरत 10 लाख 68 हजार 267 मतदाताओं तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए 358 पार्षद और 7 महापौर प्रत्याशियों ने 12 दिन तक लगातार 120 डेसिबल से ज्यादा शोर किया। यह शोर प्रत्याशियों के प्रचार वाहनों और सभाओं की वजह से हुआ। राजनीतिक दलों ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों को ताक पर रखकर हर दिन 24 घंटे में 8 से 10 घंटे तक बच्चे, बुजुर्ग और गृहिणियों को लगातार परेशान रखा। डीजे, माइक, तुरही के शोर से मतदाताओं सहित शहर के 14 लाख लोग लगातार परेशान रहे हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान शहर का ध्वनि प्रदूषण चार गुना तक बढ़ा है। अब सोमवार को शाम पांच बजे प्रचार थमने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण में कमी आई और सामान्य स्तर तक पहुंच गया है इसक साथ ही अब आम जन ने भी राहत की सांस ली है।
शोर के लिए इतने जिम्मेदार

नगर निगम में महापौर के 7 और पार्षद के 358 प्रत्याशी, नगर पालिका डबरा में पार्षद के 146 प्रत्याशी, नगर परिषद आंतरी में पार्षद के 37 प्रत्याशी, नगर परिषद भितरवार में पार्षद के 83 प्रत्याशी, नगर परिषद बिलौआ में पार्षद के 62 प्रत्याशी, नगर परिषद पिछोर में पार्षद के 50 प्रत्याशी, नगर परिषद मोहना में पार्षद के 80 प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रचार के नाम पर कानों को नुकसान पहुंचाने का काम करते रहे हैं।
सबसे ज्यादा घातक रहे डीजे

-नियमानुसार दो साउंड बॉक्स लगाने की अनुमति है, लेकिन प्रत्याशियों ने डीजे का उपयोग किया। रैलियों में उपयोग किए गए वाहनों में भी आठ से दस साउंड बॉक्स लगाए गए। 150 डेसिबल तक आवाज के साथ अधिकतर नेता सड़कों पर निकले। यह आवाज इतनी तेज रही है कि आसपास की कम से कम 500 मीटर परिधि में लोगों की परेशानी का कारण बनी रही। लगातार हुए नियमों के उल्लंघन को निर्वाचन विभाग द्वारा मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त की गई टीमों ने भी रिपोर्ट नहीं किया। अब अधिकारी कह रहे हैं कि अगर कोई शिकायत करता तो कार्रवाई जरूर होती।
यह है तेज आवाज का असर

-तय मानक से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होने पर तनाव, मांसपेशियों में खिंचाव, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में जकडन व चिड़चिड़ापन जैसी समस्या होती है।

-स्वास्थ्य पर होने वाले विपरीत असर का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर लगातार डेढ़ घंटे तक 100 डेसिबल से अधिक ध्वनि में रुका जाए तो सुनने की क्षमता सीधे तौर पर प्रभावित होती है।
एक नजर में ध्वनि प्रदूषण

-एक जुलाई को 110 डेसिबल

-दो जुलाई को 132 डेसिबल

-तीन जुलाई को 150 डेसिबल

-चार जुलाई को 181 डेसिबल

‘यह सही है कि लगातार एक ही स्थान पर ज्यादा समय तक डीजे बजाया जाए तो ध्वनि प्रदूषण ज्यादा होता है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान ध्वनि प्रदूषण को लेकर अब तक किसी भी प्रकार की शिकायत हमारे पास नहीं आई है। प्रशासन के द्वारा ही इन पर कार्रवाई की जाती है।’
एचएस मालवीय, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड

‘चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों ने अनुमतियां ली थीं। अब प्रचार बंद हो चुका है। इस अवधि में तेज आवाज में शोर होने की शिकायतें तो नहीं आईं, अगर शिकायतें आतीं तो निश्चित तौर पर हम कार्रवाई करते।’
कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिला निर्वाचन अधिकारी

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