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16 साल पहले बनाकर भूले ड्रग टेस्टिंग लैब, अब आई याद, मशीनों की जांच के लिए बुलाए जाएंगे इंजीनियर

locationग्वालियरPublished: Jul 13, 2018 01:09:59 am

Submitted by:

Rahul rai

कॉलेज में लैब 2002 में बनी थी, 2006 में करोड़ों रुपए की मशीनें आईं, एक बार इंस्ट्रॉल के बाद इनका उपयोग तक नहीं किया जा सका

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16 साल पहले बनाकर भूले ड्रग टेस्टिंग लैब, अब आई याद, मशीनों की जांच के लिए बुलाए जाएंगे इंजीनियर

ग्वालियर। 16 साल पहले आयुर्वेद कॉलेज में बनी ड्रग टेस्टिंग लैब को ताले में बंद कर भूल गए। अब याद आई है तो लैब को शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसे शुरू करने के लिए बीते रोज आयुष विभाग की असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ.सोमना शुक्ला ने लैब का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की। इसमें मशीनों को दोबारा इंस्ट्रॉल करने कंपनी के इंजीनियरों को बुलाने पर जोर दिया गया।
अब भोपाल स्तर से अधिकारियों द्वारा कंपनी को पत्र लिखा जाएगा। इससे पहले विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के अधिकारी भी लैब का निरीक्षण करने आ सकते हैं। कॉलेज में लैब 2002 में बनी थी, 2006 में करोड़ों रुपए की मशीनें आईं, एक बार इंस्ट्रॉल के बाद इनका उपयोग तक नहीं किया जा सका। इसकी वजह टैक्नीशियन न होना रही।

राज्य सरकार की ओर से सहयोग न मिलने से न तो लैब चालू हो सकी है, न स्टाफ की नियुक्ति हो सकी। मशीनें भी रखे-रखे कंडम हो रही हैं। यह लैब दो साल में शुरू होना थी। वर्तमान में कॉलेज में आने वाली दवाओं की टेस्टिंग निजी लैब में कराई जा रही है, इससे हर साल लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।

कॉलेज की लैब में हर साल 500 दवाओं के नमूनों की जांच होनी थी। जानकारी के मुताबिक टैक्नीशियन की पूर्ति तो कर ली गई है, लेकिन अन्य स्टाफ कलेक्ट्रेट रेट पर रखा जाएगा।


कंपनी के इंजीनियर बता पाएंगे मशीनों की स्थिति
विदेशी मशीन पिछले 12 साल से पैक बंद रखी हैं। मशीन ठीक स्थिति में हैं, या रखे-रखे कंडम हो चुकी हैं, यह कंपनी के इंजीनियर इनकी जांच करने के बाद बता पाएंगे। आयुष विभाग कंपनी को पत्र लिखकर मशीनों की जांच कराएगा।

डिप्टी डायरेक्टर रिपोर्ट तैयार कर ले गई हैं। अब विभाग को तय करना है कि लैब को कब चालू करना है। इससे पहले कंपनी के इंजीनियर मशीनों की जांच करेंगे।
डॉ.सीपी शर्मा, प्रभारी प्राचार्य एवं अधीक्षक, आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय
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