ग्वालियर

डिप्टी रेंजर के शरीर से निकाले 17 छर्रे निकाले, दो अब भी अंदर, 8 हमलावरों की भी हुई पहचान, जानिए क्या है पूरा मामला

पत्थर चोरी करने वाले मुरैना के हैं, जबकि फॉरेस्ट के शिकंजे से उन्हें बचाने के लिए फायरिंग करने वाले 6 मददगार तिघरा के रहने वाले हैं

ग्वालियरSep 14, 2018 / 01:07 am

Rahul rai

डिप्टी रेंजर के शरीर से निकाले 17 छर्रे निकाले, दो अब भी अंदर, 8 हमलावरों की भी हुई पहचान, जानिए क्या है पूरा मामला

ग्वालियर। छीकरी, तिघरा के जंगल में बुधवार को चोरी का पत्थर पकडऩे पहुंचे फॉरेस्ट अमले को घेरकर गोलियां मारने वाले 8 पत्थर चोरों की पहचान हो गई है। पत्थर चोरी करने वाले मुरैना के हैं, जबकि फॉरेस्ट के शिकंजे से उन्हें बचाने के लिए फायरिंग करने वाले 6 मददगार तिघरा के रहने वाले हैं।
 

लखनपुरा के जंगल से चोरी से खोदा गया पत्थर जंगल के रास्ते मुरैना जा रहा था। उधर पत्थर चोरों की गोली से जख्मी डिप्टी रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी के शरीर से डॉक्टरों ने 17 छर्रे निकाले हैं, दो छर्रे अब भी धसे हैं। सुरक्षा गार्ड हरिशचंद्र चौहान की हालत में भी अब सुधार है।
 

पुलिस ने बताया बुधवार को मुरैना के पत्थर चोर लोकल रिश्तेदारों की मदद से डांढ़ा खिरक और लखनपुरा से अवैध उत्खनन कर पत्थर ले जा रहे थे। इनकी पहचान के लिए गुरुवार को परिवहन विभाग में उनके वाहनों के रजिस्ट्रेशन खंगाले गए। इसमें एक ट्रैक्टर मुरैना निवासी आशाराम गुर्जर का है, जबकि दूसरा राजीव गुर्जर निवासी सरायछोला का बताया जा रहा है, लेकिन उसे लेकर संशय है। आशंका है ट्रैक्टर चोरी का हो सकता है।
 

पत्थर चोरों के रिश्तेदार महुआ खेड़ा, डांढ़ा खिरक और तिलावली में रहते हैं। उनके इशारे पर ही दोनों ट्रैक्टर लखनपुरा में पत्थर लादने आए थे। वन विभाग ने जब दोनों ट्रैक्टर घेरे तो लोकल रिश्तेदारों ने वन विभाग की टीम को खदेडऩे के लिए गोलियां चलाई थीं। इनमें 6 हमलावरों की पहचान हो गई है, आरोपियों का पता लगाया जा रहा है। गुरुवार को पुलिस ने आशाराम गुर्जर सहित 10 लोगों पर बलवा, हत्या के प्रयास और शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया है।
 

प्लानिंग से चलता कारोबार
वन विभाग के अमले पर गोली चलाने की वारदात के बाद अब लखनपुरा, तिघरा, डांढ़ा खिरक के लोग भी पत्थर चोरी के धंधे के राज खोल रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से मुरैना के पत्थर चोरों का इलाके में मूवमेंट बढ़ा है। अवैध उत्खनन का कारोबार स्थानीय लोगों, पुलिस और वन विभाग की सांठगांठ से चलता है। पत्थर चोर की लेबर दिन में जंगल में अवैध पत्थर खोदती है, रात को चोर ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक से उसे ढोहते हैं। उनके गुजरने के रास्ते पुलिस और वन विभाग को भी पता हैं।
 

रैकी करते मुखबिर, इशारों पर चलते वाहन
खदान से चोरी का पत्थर ठिकाने तक पहुंचाने के लिए कई गाडिय़ां रात में एक साथ चलती हैं। रास्ते में कोई रुकावट नहीं है, इसका पता लगाने के लिए उनकी टीम के मेंबर बाइक से रैकी करते हैं। जहां सांठगांठ है, वहां इन्हें खुटका नहीं रहता। जिस जगह पर फंसने का डर होता है वहां बाइक सवार मुखबिर पत्थर चोरों को फोन कर अलर्ट होने का इशारा करते हैं।
 

आरोपियों की पहचान, एफआइआर दर्ज
वन विभाग की टीम पर गोली चलाने वाले ६ हमलावरों और एक ट्रैक्टर मालिक की पहचान हो गई है। दूसरे ट्रैक्टर के मालिक का नाम भी सामने आया है, लेकिन उसे लेकर संशय है। आरोपियों पर केस दर्ज किया गया है, पुलिस उन्हें पकडऩे की कोशिश में जुटी है।
डॉ. एए अंसारी, डीएफओ ग्वालियर
 

आरोपियों की तलाश
वन विभाग के अमले पर हमला करने वालों पर केस दर्ज किया है। आरोपियों की पहचान कर तलाश की जाएगी। कुछ संदेहियों के नाम सामने आए हैं।
मनीष डाबर, थाना प्रभारी तिघरा

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