जिले में सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से 12वीं तक 1 लाख 20 हजार छात्र पढ़ाई करते हैं, निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या करीब दो लाख 35 हजार है। सबसे ज्यादा महंगी किताबें निजी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की बेची गई हैं, इससे किताबें खरीदने पर अभिभावकों पर पांच करोड़ से अधिक का भार बढ़ा है।
कागज का निर्यात बढऩे से बढ़ रहीं कीमतें
नए सत्र में किताबें महंगी होने का कारण यह बताया जा रहा है कि कागज बनाने वाली कंपनियों ने विदेशों में निर्यात बढ़ा दिया है। चीन, जापान, रूस, अमेरिका आदि देश भारत में निर्मित कागज की मांग कर रहे हैं। वहीं, बांस की पैदावार में गिरावट आई है, इस वजह से भी कागज के दामों में उछाल आ रहा है।
नए सत्र में किताबें महंगी होने का कारण यह बताया जा रहा है कि कागज बनाने वाली कंपनियों ने विदेशों में निर्यात बढ़ा दिया है। चीन, जापान, रूस, अमेरिका आदि देश भारत में निर्मित कागज की मांग कर रहे हैं। वहीं, बांस की पैदावार में गिरावट आई है, इस वजह से भी कागज के दामों में उछाल आ रहा है।
47 करोड़ का व्यापार
शहर में निजी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की संख्या 2 लाख 35 हजार है। इन छात्रों का एक एवरेज से करीब 2 हजार रुपए का सिलेबस खरीदा गया। इस तरह करीब 47 करोड़ के आसपास व्यापार हुआ है। पिछले साल व्यापार 42 करोड़ रुपए हुआ था।
शहर में निजी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की संख्या 2 लाख 35 हजार है। इन छात्रों का एक एवरेज से करीब 2 हजार रुपए का सिलेबस खरीदा गया। इस तरह करीब 47 करोड़ के आसपास व्यापार हुआ है। पिछले साल व्यापार 42 करोड़ रुपए हुआ था।
नए सत्र में सिलेबस के दाम
–कक्षा—पिछले साल दाम–नए सत्र में दाम
नर्सरी से यूकेजी तक–850–950
कक्षा 1—1800—-2000
कक्षा 2—-1950—-2150
कक्षा 3—-2000—-2200
कक्षा 4—-2000—2250
कक्षा 5—-2100—2300
कक्षा 6—2400—2700
कक्षा 7–2600—2800
कक्षा 8–2700—2900
कक्षा 9–2500—2800
कक्षा 10—2550—2900
कक्षा 11–1500—1700
कक्षा 12—1500—1700
नोट- सिलेबस के यह दाम शहर के बुक स्टोर द्वारा बताए गए दामों के आधार अनुमानित हैं।
इस बार सिलेबस पिछले साल की तुलना में एनसीईआरटी का 5 से 10 फीसदी और सीबीएसई के निजी प्रकाशकों का 15 से 20 फीसदी महंगा बिका। इस वजह से पेरेंटï्स को हर छात्र के सिलेबस पर दो सौ तीन सौ रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ा।
धनराज शेजवानी, बुक स्टोर संचालक
हर साल नए सत्र में सिलेबस के दाम निजी प्रकाशकों द्वारा दिए बढ़ा दिए जाते हैं, जिससे अभिभावकों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। देश में शिक्षा का स्तर सुधरना चाहिए, पाठ्य पुस्तकें सस्ती होनी चाहिए, जिससे गरीब अभिभावक भी अपने बच्चों को आसानी से शिक्षा दिला सके।
सुधीर सप्रा, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन
सुधीर सप्रा, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन
नए शिक्षा सत्र में सिलेबस की बिक्री के दौरान अलग-अलग टीम गठित कर बुक स्टोर की जांच कराई गई। रेट लिस्ट भी बुक स्टोर पर चस्पा कराई गई। बुक स्टोर संचालकों को हिदायत भी दी गई।
विजय दीक्षित, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र
विजय दीक्षित, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र