ग्वालियर/श्योपुर। जिले में कुपोषण 50 बच्चों की जान ले चुका है। यह मौतें बहुत ही कम समय में जिलेभर में हुई हैं, कुपोषण भयावह होकर जिले में जानलेवा हुआ। क्योंकि शासन द्वारा इन अति पिछड़े लोगों के उपचार के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के मार्फत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को 25 लाख रुपए की राशि भी स्वास्थ्य शिविरों के लिए दिलाई है। मगर छह माह की अवधि गुजर जाने के बाद भी जिले में कोई शिविर नहीं लगाया गया है।
जबकि यह बात साफ हो चुकी है कि जिन कुपोषितों की जान गई है, उनमें से कई की जान कुपोषण के बाद हुई बीमारी से हुई है। इससे साफ जाहिर है कि अगर स्वास्थ्य विभाग आदिम जाति कल्याण विभाग से 25 लाख रुपए लेने के बाद स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करता तो शायद ऐसे बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
यहां बता दें कि कराहल और विजयपुर विकास खण्ड क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का भारी अभाव है, स्थिति यह है कि गोलीपुरा में 17 मौतें होने तक तो सूचना भी बाहर नहीं आ सकी थी, वहीं आमजन रुपए न होने से बच्चों को घरों से उपचार कराने के लिए बाहर लेकर नहीं गए।
मगर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन होता तो तय है कि गोलीपुरा सहित अन्य क्षेत्रों के लोग अपने बच्चों को उपचार के लिए लेकर स्वास्थ्य शिविरों में जरूर पहुंचते, जहां इन्हें समुचित उपचार मिलता जो संभव है कि 50 नहीं तो आधी ही सही मगर बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
यही वजह है कि इस स्थिति को लेकर वरिष्ठ अफसरों ने भी स्वास्थ्य विभाग को लताड़ लगाई है और पूछा है कि राशि लेकर भी जिले में इस वर्ग के लोगों के लिए कोई भी स्वास्थ्य शिविर क्यों नहीं लगाया गया है। जबकि अब तक इस वित्तीय वर्ष के छह माह से अधिक दिन गुजर चुके हैं। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ आरपी सरल का कहना है कि कोई वित्तीय वर्ष के पहले ही दिन राशि नहीं मिल जाती है, जो राशि दी गई है, उससे शिविरों के आयोजन की तैयारी की जा रही है।
कुपोषण जैसी स्थिति नहीं है और न ही यह राशि ऐसे शिविरों के लिए दी गई थी। यह राशि गंभीर बीमारी के प्रभावितों के उपचार को कैंप लगाने के लिए दी गई थी, अभी मुरैना में लगने वाले वृहद शिविर में इस राशि का भी उपयोग कर, गंभीर रोगियों को उपचार दिलाने के लिए सीएमएचओ को कहा गया है।
पीएल सोलंकी, कलेक्टर, श्योपुर