बाड़े पर दुकान लगाने वाले फुटपाथी कारोबारी बेधडक़ कहते हैं कि बाड़े की सडक़ पर दुकान लगाना है तो 100 रुपए रोज देने पड़ते हैं। नजरबाग मार्केट में जाने वाले रास्ते पर बैठने की कीमत 200 रुपए रोज है। नई दुकान लगाने के लिए राकेश और गजराज से बात करनी पड़ेगी, यह लोग ही वसूली कर ठिकाने पर पहुंचाते हैं। दोनों टाउन हॉल के पास मिलेंगे। हर दिन करीब 47 हजार रुपए और महीने में करीब 14 लाख की वसूली है। हालांकि इन दुकानदारों का कहना था कि पांच दिन से उगाही बंद है, इसलिए फुटपाथी निश्चिंत हैं, लेकिन धंधे के लिए पैसे तो देने ही पड़ते हैं।
बाड़े पर फुटपाथी दुकानदारों के पीछे सूदखोरों का जमा हुआ कारोबार भी बताया गया है। फुटपाथी कारोबारी कहते हैं कि यहां तमाम लोग रोज उधार लेकर फट्टा (फुटपाथ पर दुकान) लगाते हैं। उधारी का ब्याज 10 से 15 प्रतिशत तक रहता है। इनमें कुछ लोग इस वादे के साथ कारोबार के लिए उधार पैसे देते हैं कि वह बैठे हैं, उनकी दुकान नहीं हटने देंगे।
– सरकारी छापाखाने के सामने फुटपाथी दुकान लगाते हैं, दौलतगंज और टाउन हॉल से आने वाला ट्रैफिक भी छापाखाने के सामने से ही माधौगंज और बाड़े की तरफ जाता है। दौलतगंज तिराहे पर पुलिस ने बीच सडक़ पर बेरीकेड्स भी रखे हैं। यहां सडक़ संकरी होने की वजह से पुलिस चौकी के ठीक पीछे हर वक्त जाम की स्थिति रहती है।
– स्काउट गेट से बाड़े की तरफ आने वाले रास्ते पर भी सडक़ किनारे करीब ४० फुटपाथी कारोबारी और हाथठेले एक तरफ की सडक़ घेरते हैं, इससे विक्टोरिया मार्केट के पास पहुंचकर सडक़ संकरी होती है, इस वजह से यहां से देवघर गेट के सामने तक वाहन अटकते हैं, क्योंकि यहां भी नजरबाग मार्केट जाने वाले रास्ते को फुटपाथी कारोबारियों ने डाकघर तक घेर रखा है।
– डाकघर के सामने से ट्रैफिक सिग्नल तक भी यातायात एक रफ्तार में नहीं चल पाता। यहां सुभाष मार्केट में जाने वाले रास्ते पर फुटपाथ पर कारोबार करने वालों की भीड़ है। स्थिति यह है कि सुभाष मार्केट में जाने वाले ग्राहकों को चलने लायक रास्ता नहीं बचता है, इससे सडक़ पर भीड़ लगती है, इसलिए ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है।
– टाउन हॉल के पास आधी सडक़ को बैग, प्लास्टिक का सामान, कपड़े बेचने वालों ने घेर रखा है, इसलिए यहां से वाहनों को निकलने के लिए जगह नहीं बचती है।