बायोलॉजिकल फैक्ट के तहत सामान्य परिस्थितियों में 1000 लड़कों पर 955 लड़कियां पैदा होती हैं। इस आधार पर अगर स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन के आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 लाख 75 हजार 839 लड़कोंं पर 5 लाख 49 हजार 926 लड़कियां पैदा होना चाहिए। लेकिन पैदा हुईं सिर्फ 5 लाख 34 हजार 139 बेटियां। एेसे में एक वर्ष में 15 हजार 787 बेटियां चयन आधारित गर्भपात की शिकार हो गईं। ये चौंकानेऔर उससे भी ज्यादा परेशान करने वाले आंकड़े हैं। सरकार की तमाम कोशिश कोख में कत्ल के मामलों को नहीं रोक पाईं।
बीते दिनों भू्रण जांच के मामले में दो दलाल गिरफ्तार किए गए। इससे जाहिर हैं कि जिले में गिरोह अब भी सक्रिय हैं। जिले में पीसीपीएनडीटी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन न होना भू्रण जांच के मामलों को बढ़ावा दे रहा है। शहर में सक्रिय रहकर भ्रूण जांच गिरोह अपने काम को अंजाम दे रहा है और स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं है।
बायोलॉजिकल फैक्ट साल में लड़कियां जन्म लेना चाहिए थीं 5,49,926
मेडिकल फैक्ट 1000 लड़कों पर पैदा होती हैं 955 लड़कियां
एक साल में चयन आधारित गर्भपात का शिकार
होती हैं 15787 “पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत प्रभारी क्रियांवयन से ऐसे कृत्य रोके जा सकते हैं तभी जिले में बच्चियों की संख्या में वृद्धि होगी।चयन आधारित गर्भपात पर अंकुश लगना चाहिए।”
केके दीक्षित, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
डॉ. मृदुल सक्सेना, सीएमएचओ