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दीनारपुर में दी गई एक अरब की 45 बीघा भूमि सरकारी घोषित

locationग्वालियरPublished: Jan 20, 2021 05:52:09 pm

उद्योग विभाग को आवंटित की गई जमीन पर मालिकाना हक जताने वालों के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दीनारपुर क्षेत्र में स्थित 45 बीघा 11 विस्वा जमीन…

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दीनारपुर में दी गई एक अरब की 45 बीघा भूमि सरकारी घोषित

ग्वालियर. उद्योग विभाग को आवंटित की गई जमीन पर मालिकाना हक जताने वालों के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दीनारपुर क्षेत्र में स्थित 45 बीघा 11 विस्वा जमीन को शासकीय घोषित किया है।
सर्वे नंबर 376 से 411 तक स्थित इस जमीन को शासकीय घोषित करने का आदेश मंगलवार को दोपहर 12.38 पर पारित हुआ था। लगभग 1 अरब रुपए की इस जमीन को दोबारा अतिक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी कलेक्टर ने एसडीएम और तहसीलदार को तय की है। उल्लेखनीय है कि जमीन को शासकीय घोषित करने का आदेश 75 वर्ष बाद पारित हुआ था और आदेश के तुरंत बाद ही प्रशासन ने कब्जा भी ले लिया।

यह था मामला
– आवेदक नौमीसिंह पुत्र सुरजन सिंह ने 2017 में जमीन पर मालिकाना हक जताकर आवेदन लगाया था।
– आवेदक ने मांग की थी कि भू अर्जन का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है इसलिए कब्जा वापस दिया जाए।
– इस पर प्रशासन से हारने के बाद आवेदक सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन कोर्ट ने आवेदक का कब्जा नहीं माना था।
– सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भू अर्जन शाखा ने शासन से मार्गदर्शन मांगा और शासन ने न्यायालय के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए।
– इसके बाद कलेक्टर न्यायालय ने पूरी जमीन को शासकीय घोषित करके कब्जा ले लिया है।

उद्योग विभाग को हुई थी आवंटित
आजादी से पहले वर्ष 1945 में शासन ने गोला का मंदिर स्थित जमीन को उद्योग विकसित करने के लिए आरक्षित किया था। इस जमीन को उद्योग विभाग को आवंटित भी किया गया। तत्कालीन समय में क्षेत्र में जेसी मिल, सिमको, गे्रसिम, मंघाराम एंड संस जैसी बड़ी यूनिट होने के साथ ही बिरलानगर इंडस्ट्रियल एरिया के साथ इस क्षेत्र को विकसित करने का प्लान था। बाद में उद्योग विभाग ने इस जमीन पर कब्जा नहीं लिया था। क्षेत्रीय बड़े उद्योग खत्म होने के बाद जमीन के दाम बढऩे लगे तो आवेदक ने जमीन को अपना बताकर भू अर्जन की राशि की मांग करने के साथ जमीन को वापस मांगा था। हाईकोर्ट से आवेदक के पक्ष में निर्णय हो गया था। इसके बाद शासन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भूमि पर आवेदक का अधिकार न मानकर प्रकरण निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को जारी किए गए आदेश क्रमांक 3050/2015 के जरिये अधिकार को खारिज करके पूरी जमीन को शासन की माना था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने पूरी जमीन को शासकीय घोषित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही क्षेत्रीय तहसीलदार को पूरी जमीन का कब्जा लेने का आदेश भी दिया है। कलेक्टर ने मुरार एसडीएम और तहसीलदार की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की है कि भविष्य में जमीन पर किसी तरह का अतिक्रमण या गलत लोगों द्वारा क्रय विक्रय नकिया जाए।
पिछोर में कराई एक करोड़ की भूमि मुक्त
एंटी माफि या अभियान के अंतर्गत डबरा एसडीएम प्रदीप शर्मा की अगुवाई में पिछोर कस्बे में कार्रवाई करके एक करोड़ बाजार मूल्य की भूमि को मुक्त कराया गया। प्राइम लोकेशन पर स्थित 3400 वर्गफीट नजूल आबादी की भूमि पर क्षेत्रीय दबंग और आपराधिक तत्व हरिसिंह, जितेन्द्र सिंह और कालू गुर्जर आदि ने कब्जा करके निर्माण कर लिया था।
मंगलवार को हुई कार्रवाई के दौरान सभी निर्माण तोड़कर भूमि को मुक्त कराया गया है। इनके खिलाफ पुलिस में एफआइआर भी कराई जाएगी। कब्जा करने वालों पर पहले से भी पुलिस में अपराध पंजीबद्ध हैं।
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