म हिला बाल विकास के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की जांच के समय सबसे ज्यादा लापरवाही बरती जाती है। अधिकतर कार्यकर्ता बच्चों को सुबह पोषण आहार खिलाने को ही अपना मूल काम समझती हैं। बच्चों को न तो बेहतर प्राइमरी एजुकेशन दी जा रही है, न ही उनके स्वास्थ्य का सही तरीके से ख्याल रखा जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वरिष्ठ अधिकारियों को अतिकम वजन के बच्चों के संबंध में सही जानकारी बताने की बजाय छुपाने की कोशिश करती हैं। ैं।
यह है वास्तविक स्थि – सरकारी सर्वे में नगर निगम सीमा सहित डबरा, भितरवार, घाटीगांव और मुरार की आदिवासी बस्तियों में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है।
– हर तीसरी किशोरी बालिका का हीमोग्लोबिन 4.5 से लेकर 9.5 तक निकला है।
– 0 से 5 साल तक के हर दूसरे बच्चे की बांयीं भुजा के ऊ परी गोलाई की माप 11.5 सेमी की बजाय 7 से 9सेमी के बीच निकली है।
– बालिकाओं में खून की कमी सबसे ज्यादा निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों में सामने आई है।
– निम्न परिवारों में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा सामने आई है।
– आदिवासी इलाकों में कुपोषण पसरा हुआ है, किशोरियों में हीमोग्लोबिन का प्रतिशत भी सामान्य से कम सामने आ रहा है।ति
– हर तीसरी किशोरी बालिका का हीमोग्लोबिन 4.5 से लेकर 9.5 तक निकला है।
– 0 से 5 साल तक के हर दूसरे बच्चे की बांयीं भुजा के ऊ परी गोलाई की माप 11.5 सेमी की बजाय 7 से 9सेमी के बीच निकली है।
– बालिकाओं में खून की कमी सबसे ज्यादा निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों में सामने आई है।
– निम्न परिवारों में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा सामने आई है।
– आदिवासी इलाकों में कुपोषण पसरा हुआ है, किशोरियों में हीमोग्लोबिन का प्रतिशत भी सामान्य से कम सामने आ रहा है।ति