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तीन वर्ष में 25 फीसदी गिर गए संपत्तियों के दाम,मंदी के दौर में असमानता के नाम पर न हो गाइडलाइन में बढ़ोतरी

locationग्वालियरPublished: Mar 19, 2020 12:29:13 am

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

 
-60 लाख रुपए बीघा की जमीन की रजिस्ट्री गाइडलाइन के हिसाब से हो रही डेढ़ करोड़ में

Property prices have fallen by 25 per cent in three years, in the name of inequality in the time of recession, there should be no increase in guideline

-60 lakh rupees of bigha land in one and a half crores according to the registry guideline


ग्वालियर। बीते तीन वर्ष के दौरान संपत्ति की दरों में 25 से 30 प्रतिशत तक गिरावट आई है। मंदी के इस दौरान में वैश्विक महामारी घोषित हो चुके कोरोना वायरस का असर भी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इससे कब तक उबरेंगे कहा नहीं जा सकता है,इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर गाइडलाइन में किसी भी प्रकार की वृद्घि सही नहीं है।

प्रदेश सरकार ने भी 20 फीसदी कमी करके तीन साल तक गाइडलाइन में किसी भी प्रकार की वृद्धि न करने का वादा किया था, इसलिए अब दर असमानता का बहना लेकर कलेक्टर गाइडलाइन में बढ़ोतनी नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही निर्माण दरों को भी पूर्व की तरह रखा जाना चाहिए। बुधवार को कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आपत्तियां और सुझाव पंजीयन विभाग को भेजे हैं। इसके लिए चैंबर ने रियल स्टेट कारोबारी, स्थानीय कर उप समिति से सुझाव लिए थे। इन सुझाव और आपत्तियों को चैंबर के अध्यक्ष विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष पारस जैन,सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल सहित अन्य सदस्यों ने कलेक्टर और वरिष्ठ जिला पंजीयक को भेजे हैं।

 

इन विसंगतियों को किया जाए दूर

-वार्ड-35 आप्टे की पायगा में आवासीय दर 14400 प्रति वर्गमीटर है, इसी क्षेत्र के नायक अपार्टमेंट में दर बढ़ाकर 20,000 रुपए और व्यवसायिक दर 21600 से बढाकर 30 हजार की जा रही है।


-आनंदनगर में जीडीए द्बारा विकसित कॉलोनी में वर्तमान दर 13 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है, यहां से थोड़ी दूरी पर मौजूद शिवनगर में दर 15 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की जा रही है, जो उचित नहीं है।

 

-निगम सीमा के बाहर संपत्ति का मूल्यांकन करने पर पता चलता है कि कलेक्टर गाइडलाइन में दिए गए बहुत से प्रस्ताव अप्रासंगिक और वास्तविकता से मेल नहीं खाते हैं। महंगी रजिस्ट्री के वास्तविक मूल्यांकन पर पता चलता है कि जो रजिस्ट्री डेड़ से दो करोड़ रुपए में हुई है, उसका वास्तविक मूल्य 40 से 50 लाख रुपए ही है। इससे कैपिटल गेन ज्यादा बनता है। लोगों को टैक्स ज्यादा देना पड़ता है।


-व्यवसायिक बहुमंजिला भवन एवं मॉल में तल के हिसाब से मूल्यांकन कर 10 से 60 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है। लेकिन इसमें यह शर्त है कि किसी भी स्थिति में, किसी भी मंजिल पर स्थित व्यवसायिक सम्पत्ति का मूल्य उस तल की आवासीय सम्पत्ति के मूल्य से कम नहीं होंगे।

 

-बाराघाटा क्षेत्र में भूमि का वास्तविक विक्रय मूल्य 60 लाख रुपए प्रति बीघा है, लेकिन यदि कोई विक्रय करना चाहे तो कलेक्टर गाइडलाइन अनुसार लगभग डेढ करोड़ प्रति बीघा में रजिस्ट्री होगी। इस वजह से जमीनें बिक नहीं पा रही हैं।
-रमौआ, जारगा, शिवपुरी लिंक रोड, सुसेरा, नीम चंदोबा खुर्द, बरौड़ी, भाटखेड़ी आदि स्थानों पर भी इस तरह की विसंगति है, जिनको दूर किया जाना जरूरी है।

 

यह दिए हैं सुझाव


-विसंगति की वजह से भूमि विवाद बढ़ रहे हैं, इसलिए वास्तविक मूल्य तय होने से व्यवस्था पारदर्शी होगी और विवादों में कमी आएगी।

-गाइडलाइन वास्तविक मूल्य पर आधारित न होने से खरीद-फरोख्त पर असर पड़ रहा है, जिससे राजस्व पूर्ति भी कम होगी।
-किसी एरिया में मंहगी दर से रजिस्ट्री हुई हो तो उसको आधार पर मानकर कलेक्टर गाइडलाइन नहीं बढाई जाना चाहिए क्योंकि अधिकतर लोग बैंकों से लोन लेने की वजह से अधिक दर पर रजिस्ट्री करा लेते हैं।

-जिला मूल्यांकन समिति में चैंबर ऑफ कॉमर्स, उप जिला मूल्यांकन समिति में क्रेडाई को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए ताकि गाइडलाइन या भूमि भवन संबंधी नियम या शर्त आदि बनाने में वास्तविकता भी सामने आए।


लाइन विलोपित करने से बढ़ेगा निवेश

-गाइडलाइन में दिया गया है कि किसी भी स्थिति में किसी भी मंजिल पर व्यवसायिक सम्पत्ति का मूल्य उस तल की आवासीय सम्पत्ति के मूल्य से कम नहीं होंगे।
-घरेलू एवं व्यवसायिक सम्पत्ति के मूल्य में 10 प्रतिशत का अंतर होने से व्यावसायिक संपत्ति पर छूट नहीं मिल पाती है, सशर्त छूट दिए जाने के प्रावधान को भी हटाया जाए।

-इस लाइन को हटाने से शहर में निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। बेरोजगारों को स्वरोजगार के साधन मिल सकेंगे और शासकीय राजस्व में बढ़ोतरी होगी।


न बढ़ाई जाए निर्माण दर

चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल के अनुसार शहरी क्षेत्र में निर्माण दर 8 हजार से बढाकर 12 हजार प्रति वर्गमीटर प्रस्तावित की गई है, जो बहुत ज्यादा है। मंदी के इस दौर में 6000 से 8000 रुपए प्रति वर्गमीटर की लागत में ही मध्यम वर्गीय आवास बन जाते हैं। इसमें प्रस्तावित 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी को भी वापस लिया जाए।

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