चंबल नदी फिर से खतरे पर, 89 गांवों में हाई अलर्ट, यहां पढ़ें गांव के नाम
गांधीसागर और कोटा बैराज के लगभग 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ा है। यही वजह है कि रविवार की शाम को खतरे के निशान पर पहुंची चंबल रात भर में सात फीट चढकऱ 201.36 मीटर पर पहुंच गई, जो खतरे के निशान से 6 फीट ज्यादा रही। यही वजह है कि रात भर में जलस्तर बढ़ा तो चंबल किनारे के गांवों में कई लोग बाढ़ में फंस गए। प्रशासन को सूचना मिली तो सेना व स्थानीय रेस्क्यू की टीमों ने 65 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
गांधीसागर और कोटा बैराज के लगभग 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ा है। यही वजह है कि रविवार की शाम को खतरे के निशान पर पहुंची चंबल रात भर में सात फीट चढकऱ 201.36 मीटर पर पहुंच गई, जो खतरे के निशान से 6 फीट ज्यादा रही। यही वजह है कि रात भर में जलस्तर बढ़ा तो चंबल किनारे के गांवों में कई लोग बाढ़ में फंस गए। प्रशासन को सूचना मिली तो सेना व स्थानीय रेस्क्यू की टीमों ने 65 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
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इसमें दांतरदा के निकट पुराने पाली घाट रोड पर खेत पर मकान बनाकर रह रहे विजय सिंह मीणा और हरिओम मीणा के परिवार के लोग बाढ़ में घिरे तो सेना की टीम पहुंची और 15 लोगों को रेस्क्यू कर दांतरदा के सामुदायिक भवन में पहुंचाया। वहीं ग्राम जैनी में खेत पर मकान बनाकर रह रहे जगदीश बैरागी व उनके परिवार को भी सेना व स्थानीय टीम ने रेस्क्यू किया।
इसमें दांतरदा के निकट पुराने पाली घाट रोड पर खेत पर मकान बनाकर रह रहे विजय सिंह मीणा और हरिओम मीणा के परिवार के लोग बाढ़ में घिरे तो सेना की टीम पहुंची और 15 लोगों को रेस्क्यू कर दांतरदा के सामुदायिक भवन में पहुंचाया। वहीं ग्राम जैनी में खेत पर मकान बनाकर रह रहे जगदीश बैरागी व उनके परिवार को भी सेना व स्थानीय टीम ने रेस्क्यू किया।
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चंबल-पार्वती के रौद्र रूप से प्रभावित हुए 33 गांव
पार्वती तो बीते एक सप्ताह से उफान पर है, जबकि तीन दिन से चंबल भी रौद्र रूप में है। यही वजह है कि दोनों नदियों के खतरे के निशान(ंचंबल 6 फीट ऊपर और पार्वती 13 फीट ऊपर) से ऊपर चलने के कारण 33 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसमें चंबल के 20 और पार्वती के 13 गांव शामिल हैं। सबसे ज्यादा असर चंबल नदी किनारे के गांवों में देखा जा रहा है, जिसमें सामरसा, दांतरदा, जवासा, आवनी, टोंगनी, तलावदा, सेवापुर, सिरसौद, जैनी, छोलघटा, खेरघटा, सांड, नितनवास, बढ़ेरे, साथेर, कुढ़ार आदि गांवों के निचले इलाके जलमग्न हैं।
चंबल-पार्वती के रौद्र रूप से प्रभावित हुए 33 गांव
पार्वती तो बीते एक सप्ताह से उफान पर है, जबकि तीन दिन से चंबल भी रौद्र रूप में है। यही वजह है कि दोनों नदियों के खतरे के निशान(ंचंबल 6 फीट ऊपर और पार्वती 13 फीट ऊपर) से ऊपर चलने के कारण 33 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसमें चंबल के 20 और पार्वती के 13 गांव शामिल हैं। सबसे ज्यादा असर चंबल नदी किनारे के गांवों में देखा जा रहा है, जिसमें सामरसा, दांतरदा, जवासा, आवनी, टोंगनी, तलावदा, सेवापुर, सिरसौद, जैनी, छोलघटा, खेरघटा, सांड, नितनवास, बढ़ेरे, साथेर, कुढ़ार आदि गांवों के निचले इलाके जलमग्न हैं।
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दूसरे दिन टूटा रहा राजस्थान से संपर्क
चंबल और पार्वती नदियां उफान पर होने से श्योपुर का राजस्थान से संपर्क दूसरे दिन भी टूटा रहा। श्योपुर-सवाईमाधेापुर हाइवे पर दांतरदा के निकट की पुलिया पर चंबल का पानी होने से ये मार्ग बंद रहा, वहीं पार्वती के उफान से श्योपुर-कोटा मार्ग पर खातौली और श्योपुर-बारां मार्ग पर कुहांजापुर पुल भी डूबे रहे। खातौली पुल पर सोमवार को 28 फीट पानी रहा।
दूसरे दिन टूटा रहा राजस्थान से संपर्क
चंबल और पार्वती नदियां उफान पर होने से श्योपुर का राजस्थान से संपर्क दूसरे दिन भी टूटा रहा। श्योपुर-सवाईमाधेापुर हाइवे पर दांतरदा के निकट की पुलिया पर चंबल का पानी होने से ये मार्ग बंद रहा, वहीं पार्वती के उफान से श्योपुर-कोटा मार्ग पर खातौली और श्योपुर-बारां मार्ग पर कुहांजापुर पुल भी डूबे रहे। खातौली पुल पर सोमवार को 28 फीट पानी रहा।
बंधी उम्मीद, दोपहर बाद 2 फीट गिरी चंबल
दोपहर तक खतरे के निशान के ऊपर 6 फीट से ज्यादा बह रही चंबल के रौद्र रूप से थौड़ी राहत की उम्मीद दोपहर बाद दिखने लगी है, जब चंबल का जलस्तर तेजी से कम हुआ है। यही वजह है कि दोपहर बाद से शाम 6 बजे तक चंबल में 2 फीट तक की गिरावट आई है।
दोपहर तक खतरे के निशान के ऊपर 6 फीट से ज्यादा बह रही चंबल के रौद्र रूप से थौड़ी राहत की उम्मीद दोपहर बाद दिखने लगी है, जब चंबल का जलस्तर तेजी से कम हुआ है। यही वजह है कि दोपहर बाद से शाम 6 बजे तक चंबल में 2 फीट तक की गिरावट आई है।
वर्ष 1996 के बाद आई ऐसी चंबल, टूटा रिकॉर्ड
वर्तमान में चंबल का रौद्र रूप बीते 23 साल का रिकार्ड तोड़ चुका है। इससे पहले चंबल में ऐसी बाढ़ वर्ष 1996 में आई थी। लेकिन इस बार उससे भी ज्यादा पानी आया है। सामरसा-दांतरदा आदि के लोगों का कहना है कि वर्ष 1996 में आई चंबल ने सामरसा के निकट श्योपुर-सवाईमाधोपुर हाइवे ही बहा दिया था, जिसके बाद यहां पुलिया बनाई गई। लेकिन इस बार का उफान तो 23 साल पहले से भी ज्यादा है।
वर्तमान में चंबल का रौद्र रूप बीते 23 साल का रिकार्ड तोड़ चुका है। इससे पहले चंबल में ऐसी बाढ़ वर्ष 1996 में आई थी। लेकिन इस बार उससे भी ज्यादा पानी आया है। सामरसा-दांतरदा आदि के लोगों का कहना है कि वर्ष 1996 में आई चंबल ने सामरसा के निकट श्योपुर-सवाईमाधोपुर हाइवे ही बहा दिया था, जिसके बाद यहां पुलिया बनाई गई। लेकिन इस बार का उफान तो 23 साल पहले से भी ज्यादा है।
ये भी खास-खास
65 लोगों को निकाला है
एसडीएम रूपेश उपाध्याय ने बताया कि चंबल के जलस्तर बढऩे से विभिन्न स्थानों पर फंसे 65 लोगों रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है। सामरसा गांव में भी पहुंचकर मरीजों व अन्य लोगों को बाहर लाया गया है, साथ ही ग्रामीणों को समझाइश दी गई है।
65 लोगों को निकाला है
एसडीएम रूपेश उपाध्याय ने बताया कि चंबल के जलस्तर बढऩे से विभिन्न स्थानों पर फंसे 65 लोगों रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है। सामरसा गांव में भी पहुंचकर मरीजों व अन्य लोगों को बाहर लाया गया है, साथ ही ग्रामीणों को समझाइश दी गई है।