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चिटफंड कंपनियों के 7 हजार निवेशकों ने किया आवेदन, पर रुपए लौटाने खातों में नहीं बैलेंस

locationग्वालियरPublished: Aug 17, 2023 11:00:07 am

Submitted by:

Balbir Rawat

- प्रदेश सहित देशभर निवेशकों के चिटफंड कंपनियों में फंसे हैं करोड़ों रुपए, प्रशासन सिर्फ आवेदन लेकर कंप्यूटर में दर्ज कर रहा, रुपए कैसे लौटेंगे, इसका नहीं विकल्प
कंपनियों ने किराए ऑफिस लेकर किया था कारोबार

चिटफंड कंपनियों के 7 हजार निवेशकों ने किया आवेदन, पर रुपए लौटाने खातों में नहीं बैलेंस
कलेक्ट्रेट में चिटफंड कंपनियों में निवेशक अपने रुपए वापसी के लिए आवेदन करने लाइन में खड़े।
ग्वालियर. गोल पहाडिय़ा निवासी सुनीता कुशवाह ठेला लगाकर अपना जीवन यापन करती हैं। उनके पास जीवन भारती प्राइवेट लिमिटेड का एजेंट आया। बेटी की शादी के लिए रुपए जमा करने की बात कही। बेटी की शादी पर रकम डबल झांसा दिया। उन्होंने अपनी कमाई एक-एक रुपया जोडक़र जीवन भारती में 500 रुपए महीना जमा किया। करीब 30 हजार रुपए उन्होंने कंपनी में जमा कर दिए, लेकिन उन्होंने जो रकम जमा की, वह नहीं मिली। दीपावली के बाद उनकी बेटी की शादी है, लेकिन शादी के लिए रुपए नहीं है। उन्हें पता चला कि कलेक्ट्रेट में आवेदन जमा हो रहे हैं। उन्होंने भी अपनी पॉलिसी के साथ आवेदन कर दिया। रुपए कब व कैसे मिलेंगे, उनके इस सवाल का जवाब वहा मौजूद अधिकारी व कर्मचारी के पास नहीं है। सुनीता अकेली ऐसी महिला नहीं है, जो चिटफंड में निवेश किए रुपए के इंतजार में हैं। बुधवार तक 7 हजार 200 महिला व पुरुषों ने आवेदन कर दिए हैं। किसी का एक लाख एक लाख तो किसी 50 हजार रुपए फंसा है। यदि जानकारों की मानें आम लोगों का हजार करोड़ से अधिक रुपया चिटफंड के कारोबारियों के पास फंसा है। चिटफंड कंपनियों के खातों में रुपए नहीं है। कुर्की से पहले ही खाते खाली कर दिए थे।
जिला प्रशासन ने 2011 से 2012 के बीच चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई की थी। इन कंपनियों ने ग्वालियर-अंचल सहित मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश सहित दक्षिण भारत में कारोबार किया। 2011 से निवेशक चिटफंड कंपनियों के एजेटों के पास घूम रहे थे, लेकिन एजेंटों ने हाथ खड़ कर दिए, क्योंकि कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए। कंपनी के संचालकों का भी नहीं पता चला। इसके बाद लोगों ने शासन व प्रशासन से उम्मीद लगाई है कि उनका रुपया मिल जाए। इसलिए लोग कलेक्ट्रेट में आवेदन कर रहे हैं।
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