लोहामंडी में रहने वाले जवाहर जैन ने पत्रिका को बताया कि नगर निगम हमें अपने मकान सही कराने की अनुमति नहीं दे रही है, न ही कोई यह बता रहा है कि यहां सडक़ का विस्तार होगा या नहीं। वे बताते हैं कि कुछ समय पूर्व कहा जा रहा था कि यहां की सडक़ को गली घोषित कर दिया है। यहां की सडक़ पर ट्रैफिक का दबाव नाले पर बनने वाली सडक़ से कम हो जाएगा।
ग्वालियर शहर का मास्टर प्लान वर्ष 2005 तक के लिए बनाया गया था। अगस्त 2011 में नए मास्टर प्लान-2021 का प्रकाशन किया गया। मार्च 2012 में इसे लागू करने की पूरी तैयारी हुई, लेकिन कहीं आपत्ति, कहीं राजनीतिक प्रेशर के चलते पहले टलता रहा। इसके बाद 2012 में ही इसे 2021 तक के लिए लागू कर दिया।
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार मास्टर प्लान में पूर्व में सेवानगर से किलागेट तक सडक़ की चौड़ाई 40 फीट तय की थी, इसमें 60 फीट की वृद्धि हुई और राज्य शासन ने बढ़ाकर 100 फीट की कर दी, जिसकी चपेट में काफी संख्या में लोगों के आवास और दुकानें आ रही थीं। अभी यहां मकानों की सडक़ से दूरी मात्र 35 फीट ही होगी। 100 फीट की सडक़ बनी तो मकान टूटकर आधे रह जाएंगे। यह बात अलग है कि आवास में निर्मित एरिया यदि वैध है तो उसका राज्य शासन द्वारा निर्धारित दर से मुआवजा दिया जाएगा।
इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि नियमानुसार ही वहां परमिशन दिए जाने का प्रावधान है।