मकान मालिक मास्टर प्लान के तहत 100 फीट की सडक़ बनने पर पुन: चपेट में न आ जाएं, इस डर से मकानों में सुधार नहीं करा रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों ने बिना अनुमति के टूटे मकानों का अगला हिस्सा बनवा लिया है। उनका दर्द यह है कि जब कोई चुनाव होता है तो हर पार्टी के नेता आते हैं, आश्वासन दे जाते हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई निराकरण नहीं करा पा रहा है। कोई यह नहीं बता रहा है कि यहां 100 फीट चौड़ी सडक़ बनेगी या नहीं।
सेवानगर-किलागेट रोड पर स्थित लोहामंडी में लगभग डेढ़ सौ मकान ऐसे हैं, जिन पर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, तत्कालीन निगमायुक्त एनबीएस राजपूत के नेतृत्व में मास्टर प्लान के तहत सडक़ विस्तारीकरण के लिए बुलडोजर चलाए गए थे। इनमें कई मकान आज भी क्षतिग्रस्त स्थिति में है।
कोई नहीं बता रहा सडक़ बनेगी या नहीं
लोहामंडी में रहने वाले जवाहर जैन ने पत्रिका को बताया कि नगर निगम हमें अपने मकान सही कराने की अनुमति नहीं दे रही है, न ही कोई यह बता रहा है कि यहां सडक़ का विस्तार होगा या नहीं। वे बताते हैं कि कुछ समय पूर्व कहा जा रहा था कि यहां की सडक़ को गली घोषित कर दिया है। यहां की सडक़ पर ट्रैफिक का दबाव नाले पर बनने वाली सडक़ से कम हो जाएगा।
लोहामंडी में रहने वाले जवाहर जैन ने पत्रिका को बताया कि नगर निगम हमें अपने मकान सही कराने की अनुमति नहीं दे रही है, न ही कोई यह बता रहा है कि यहां सडक़ का विस्तार होगा या नहीं। वे बताते हैं कि कुछ समय पूर्व कहा जा रहा था कि यहां की सडक़ को गली घोषित कर दिया है। यहां की सडक़ पर ट्रैफिक का दबाव नाले पर बनने वाली सडक़ से कम हो जाएगा।
2021 तक के लिए है मास्टर प्लान
ग्वालियर शहर का मास्टर प्लान वर्ष 2005 तक के लिए बनाया गया था। अगस्त 2011 में नए मास्टर प्लान-2021 का प्रकाशन किया गया। मार्च 2012 में इसे लागू करने की पूरी तैयारी हुई, लेकिन कहीं आपत्ति, कहीं राजनीतिक प्रेशर के चलते पहले टलता रहा। इसके बाद 2012 में ही इसे 2021 तक के लिए लागू कर दिया।
ग्वालियर शहर का मास्टर प्लान वर्ष 2005 तक के लिए बनाया गया था। अगस्त 2011 में नए मास्टर प्लान-2021 का प्रकाशन किया गया। मार्च 2012 में इसे लागू करने की पूरी तैयारी हुई, लेकिन कहीं आपत्ति, कहीं राजनीतिक प्रेशर के चलते पहले टलता रहा। इसके बाद 2012 में ही इसे 2021 तक के लिए लागू कर दिया।
मकानों की दूरी सडक़ से 35 फीट
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार मास्टर प्लान में पूर्व में सेवानगर से किलागेट तक सडक़ की चौड़ाई 40 फीट तय की थी, इसमें 60 फीट की वृद्धि हुई और राज्य शासन ने बढ़ाकर 100 फीट की कर दी, जिसकी चपेट में काफी संख्या में लोगों के आवास और दुकानें आ रही थीं। अभी यहां मकानों की सडक़ से दूरी मात्र 35 फीट ही होगी। 100 फीट की सडक़ बनी तो मकान टूटकर आधे रह जाएंगे। यह बात अलग है कि आवास में निर्मित एरिया यदि वैध है तो उसका राज्य शासन द्वारा निर्धारित दर से मुआवजा दिया जाएगा।
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार मास्टर प्लान में पूर्व में सेवानगर से किलागेट तक सडक़ की चौड़ाई 40 फीट तय की थी, इसमें 60 फीट की वृद्धि हुई और राज्य शासन ने बढ़ाकर 100 फीट की कर दी, जिसकी चपेट में काफी संख्या में लोगों के आवास और दुकानें आ रही थीं। अभी यहां मकानों की सडक़ से दूरी मात्र 35 फीट ही होगी। 100 फीट की सडक़ बनी तो मकान टूटकर आधे रह जाएंगे। यह बात अलग है कि आवास में निर्मित एरिया यदि वैध है तो उसका राज्य शासन द्वारा निर्धारित दर से मुआवजा दिया जाएगा।
नियमानुसार परमिशन का प्रावधान
इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि नियमानुसार ही वहां परमिशन दिए जाने का प्रावधान है।
इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि नियमानुसार ही वहां परमिशन दिए जाने का प्रावधान है।