सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक जिन स्वर्ण कारोबारियों का सालाना टर्न ओवर 40 लाख रुपए तक या इससे अधिक है। उन्हें हॉलमार्क लाइसेंस लेना जरूरी है। ऐसे में अधिकांश कारोबारी कम टर्नओवर का बहाना बनाकर लाइसेंस लेने से बच रहे हैं। वहीं बीआइएस की टीम ने अभी तक ऐसे कारोबारियों की जांच-पड़ताल भी नहीं की है।
अभी सैंपलिंग की चल रही कार्रवाई
कुछ समय पूर्व भारतीय मानक ब्यूरो, भोपाल की टीम ने सराफा बाजार हॉलमार्क वाली ज्वैलरी के सैंपल लिए थे। इसकी जांच मानक ब्यूरो को करनी है। प्रदेश में भर में सर्विलांस चेकिंग में इसी तरह के सैंपलिंग की कार्रवाई चल रही है, लाइसेंस शुदा सराफा कारोबारियों की जांच-पड़ताल भी जल्द ही विभाग की ओर से की जाने वाली है। ऐसे सराफा कारोबारियों के शोरूम तो बड़े-बड़े हैं लेकिन टर्नओवर 40 लाख से कम बता रहे हैं।
ये हो सकती है कार्रवाई
बीआइएस के नियमों के मुताबिक बिना लाइसेंस गोल्ड ज्वैलरी बेचने या नॉन हॉलमार्क ज्वैलरी बेचने वाले ज्वैलर्स के खिलाफ माल जब्ती, पांच लाख रुपए तक आर्थिक दंड और जेल का प्रावधान किया गया है।
180 कारोबारियों ने लिए लाइसेंस
पुरुषोत्तम जैन, अध्यक्ष, सोना-चांदी व्यवसाय संघ लश्कर का कहना है कि शहर में करीब 700 से अधिक सराफा कारोबारी हैं। इनमें से अभी तक 180 कारोबारियों ने लाइसेंस लिए हैं। बाकी कारोबारी सरकार की गाइडलाइन की जद में नहीं आने के कारण लाइसेंसनहीं ले रहे।