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नाते-रिश्तेदारों के साथ गांव के लोग लगुन की रस्म पूरी कर खुश थे तभी अचानक एक जोरदार धमाके के साथ खुशियों का माहौल गमगीन हो गया। हादसे में १५ लोग शिकार हुए। इनमें से ९ अब इस दुनिया में नहीं हैं। इस हादसे के बाद गांव का हर व्यक्ति शोक में है। छोटेलाल जाटव के घर के आसपास पिछले १२ दिनों से चूल्हे तक नहीं जले हैं। मंगलवार को १० वर्षीय बच्ची के मौत की खबर गांव पहुंची, तो माहौल और ज्यादा गमगीन हो गया। तमन्ना की मां लाली अपनी बच्ची का चेहरा देखने के लिए दरवाजे पर टकटकी लगाए थी।
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सब बर्बाद हो गया…
लगुन की खुशियों के दौरान हुए हादसे के बाद १८ अप्रैल हो होने वाली शादी टाल दी गई। ललिता पिता के घर से डोली में विदा नहीं हो सकी। अपने पिता, भाई, बहन, भतीजी की मौत के बाद ललिता बेसुध है। उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कभी मां से लिपट कर तो कभी भाभी से लिपट कर,सब कुछ बर्बाद होने की बात कहकर चुप हो जाती है।
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स्वास्थ्य केन्द्र पर नहीं था कोई मौजूद
सिमरिया टांका गांव में स्वास्थ्य केन्द्र है, लेकिन घटना वाले दिन केन्द्र पर कोई मौजूद नहीं था। सरपंच सोमवती स्वास्थ्य केन्द्र पर कर्मचारी न होने की कई दफा शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अब तक शिकायतों पर कोई एक्शन नहीं लिया।
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इलाज में मदद के लिए आगे आए गांव वाले
१५ लोगों के एक साथ हादसा का शिकार होने के बाद उनके इलाज में मदद के लिए गांव वाले सामने आए। निजी अस्पताल से दिल्ली तक इलाज के लिए गांव वालों ने आर्थिक मदद की। ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में भी करीब दो लाख रुपए जमा कराए। इलाज में करीब ६ लाख रुपए खर्च हुए हैं।
आखिर अवैध सिलेंडरों की बिक्री कब होगी बंद
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजन को ४-४ लाख का मुजावजा देने की घोषणा की है।घायलों को ५९ हजार १०० रुपए की मदद दी जाएगी। मुजावजे के प्रस्तावतैयार हो चुके हैं। क्या इस राशि से उन लोगों की जिंदगी खरीदी जा सकती है जिन्होंने अवैध तरीके से बिकने वाले छोटे सिलेंडर के फटने से दमतोड़ दिया? क्या इस राशि से उन परिवारों की खुशियों खरीदी जा सकती है, जो उनसे छिन गई? यदि नहीं, तो क्यों ना कुछ एेसा प्रयास होना चाहिए की न मौत हो और न ही मातम मनाने का मौका मिले और न ही मुजावजे की राशि देना पड़े।
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजन को ४-४ लाख का मुजावजा देने की घोषणा की है।घायलों को ५९ हजार १०० रुपए की मदद दी जाएगी। मुजावजे के प्रस्तावतैयार हो चुके हैं। क्या इस राशि से उन लोगों की जिंदगी खरीदी जा सकती है जिन्होंने अवैध तरीके से बिकने वाले छोटे सिलेंडर के फटने से दमतोड़ दिया? क्या इस राशि से उन परिवारों की खुशियों खरीदी जा सकती है, जो उनसे छिन गई? यदि नहीं, तो क्यों ना कुछ एेसा प्रयास होना चाहिए की न मौत हो और न ही मातम मनाने का मौका मिले और न ही मुजावजे की राशि देना पड़े।
बिखर गया परिवार
छोटेलाल जाटव के परिवार के साथ उसकी बड़ी बेटी गोमती,इलाजरत विनोद के दो ***** इस हादसे में काल के गाल में समा गए। तीन परिवारों में इस हादसे के बाद से मातम पसरा है। हादसे में छोटेलाल, उनके दो बेटे साहिब सिंह, संतोष, उनके भाई किशनलाल, पोती तमन्ना, बेटी गोमती, गोमती का बेटा कान्हा, विनोद के ***** संदीप और अंकित अब इस दुनिया में नहीं हैं। हादसे में कुल नौ लोग मारे गए।
“हादसे ने हमसे सब कुछ छीन लिया। सर से पिता का साया तो उठा ही भाई, बहन भी बिछड़ गए। गांववालों ने मदद की इसलिए इलाज भी करा पाए।”
बबलू, पीडि़त परिवार का सदस्य
“गांव में छोटेलाल के यहां हुए हादसे के बाद गांव के लोगों ने न केवल आर्थिक मदद की, बल्कि इलाज के दौरान उनकी देखरेख भी की। जिला प्रशासन ने मुजावजे के प्रकरण तैयार कर लिए हैं।”
मदन कुशवाह, सरपंच पति
बबलू, पीडि़त परिवार का सदस्य
“गांव में छोटेलाल के यहां हुए हादसे के बाद गांव के लोगों ने न केवल आर्थिक मदद की, बल्कि इलाज के दौरान उनकी देखरेख भी की। जिला प्रशासन ने मुजावजे के प्रकरण तैयार कर लिए हैं।”
मदन कुशवाह, सरपंच पति