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98 अतिक्रमण तोडऩे थे, 9 घंटे रहा अमला, फिर भी तोड़ पाए एक मंदिर और 6 झोपड़ीं

locationग्वालियरPublished: Oct 18, 2019 09:07:31 pm

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

-विधायक के दबाव में दिन भर मूक दर्शक बना रहा प्रशासन-सुबह से शाम तक हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते रहे कांग्रेस नेता

98 encroachments were broken, 9 hours of work, yet a temple and 6 huts

98 encroachments were broken, 9 hours of work, yet a temple and 6 huts

ग्वालियर। हाईकोर्ट के आदेश पर सिरोल क्षेत्र के सर्वे नंबर 3 और 4 की सरकारी जमीन से 98 अतिक्रमण हटाने गए प्रशासनिक अमले को कांग्रस विधायक सहित अन्य नेताओं का विरोध झेलना पड़ा है। लगभग 9 बजे से कार्यवाही की शुरुआत होने के बाद से लेकर शाम 6 बजे तक प्रशासन ने एक मंदिर और छह अन्य पक्के अतिक्रमण ही तोड़ पाए। मॉडल टाउन की ओर आसान अतिक्रमण हटाने के लिए सरकारी अमला तुड़ाई में लगा रहा और कांग्रेसी झुग्गी बस्ती के सामने धरना दिए बैठे रहे। पूरे समय मेंं कांग्रेसी नेता हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की स्थिति पैदा करते रहे। दो बार अधिकारियों से विवाद की स्थिति भी बनी लेकिन बाद में प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और शाम को बगैर तुड़ाई किए सरकारी टीम वापस लौट गई। इसके बाद कांग्रेसियों ने पहाड़ी के नीचे ही टैंट लगाकर लगातार धरने की प्लानिंग कर ली और धरना देने वालों के लिए भोजन व्यवस्था को भट्टी आदि भी मंगवा ली थी।

यह है मामला
हजीरा निवासी अशोक कुमार ने सिरोल पहाड़ी पर अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका लगाई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए थे। इसके बाद 98 अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे। इनमें से 91 अतिक्रमण पहाड़ी हैं और बाकी के सात नीचे की ओर हैं। प्रशासनिक कार्यवाही का विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं का कहना था कि इस मामले में रिव्यू पिटिशन भी दाखिल की गई है। हालांकि, कांग्रेसी नेता शाम तक प्रशासन को कोर्ट से संबंधित नया आदेश नहंी दिखा पाए। इस पूरी अवधि में एसडीएम, सीएसपी रवि भदौरिया,तहसीलदार शिवानी पांडेय, नायब तहसीलदार डॉ मधुलिका सिंह तोमर,आरआई होतम सिंह यादव सहित पुलिस के लगभग 50 जवान दिन भर वरिष्ठ स्तर से तुड़ाई के लिए हरी झंडी या धरना देने वालों को गिरफ्तार करने के आदेश का इंतजार करते रहे लेकिन बाद में बगैर कुछ किए ही अधिकारियों को लौटना पड़ा।

डेढ़ घंटे में तोड़ा मंदिर और मकान
पहाड़ी पर कार्यवाही में नेताओं का अड़ंगा लगने के बाद प्रशासनिक अमला मॉडल टाउन के सामने स्थित वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने पहुंच गया। यहां मुख्य सडक़ से लगभग 50 मीटर दूर संकट मोचन हनुमान मंदिर के नाम से बना धार्मिक स्थल और लगभग 3 हजार वर्गफुट में बना पक्का मकान, टीन शैड में बना तबेला आदि निर्माण दो जेसीबी की मदद से तोड़ दिए गए। इस दौरान मूर्ति हटाने के लिए एसडीएम ने फूलमाला आदि मंगवाई तो नगर निगम के कर्मियों ने लेने से मना कर दिया और दूसरे चबूतरे पर स्थापित शिवलिंग सहित अन्य प्रतिमाओं को जेसीबी से ही हटा दिया। इसको लेकर स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रकट करने की कोशिश की लेकिन फिर शांत हो गए।

दो बार उपजी संघर्ष स्थिति
अतिक्रमण की कार्यवाही के दौरान कांग्रेसी नेताओं के पहुंचने के बाद सुबह और शाम के समय दो बार संघर्ष की स्थिति बनी। दोनों बार जब प्रशासन की टीम पहाड़ी से झोपड़ी हटाने पहुंची तो कांग्रेसियों ने विरोध में नारेबाजी की। कांग्रेसियों ने महिला अधिकारियों को तो कुछ नहीं बोला लेकिन एसडीएम, कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पूरा प्रशासनिक अमला मूक बना देखता रहा। इस दौरान तहसीलदार शिवानी पांडेय ने पंचनामा बनाकर अतिक्रमण का विरोध करने वालों से हस्ताक्षर कराने की कोशिश की लेकिन कांग्रेसी नेताओं के प्रदर्शन के बीच पंचनामे पर किसी ने दस्तखत नहीं किए।

बारह घंटे खड़े रहे जवान
सुबह लगभग 9 बजे एसडीएम अनिल बनवारिया, सीएसपी रवि भदौरिया, तहसीलदार शिवानी पांडेय, नायब तहसीलदार डॉ मधुलिका सिंह तोमर सहित राजस्व का अमला पहुंच गया था। जबकि पुलिस के जवानों को सुबह लगभग 6 बजे ही बुला लिया गया था। इसके बाद से शाम तक जवान इधर से उधर होते रहे। पूरे दिन चिन्हित जगह कार्यवाही न होने से राजस्व कर्मी हों या पुलिस जवान सभी खिसियाते रहे।


-सिरोल के सर्वे 3 और 4 में अतिक्रमण हटाना था, यहां के अतिक्रामकों ने विरोध किया है, क्षेत्रीय विधायक भी आ गए थे, इसके बाद हमने मंदिर सहित सात अतिक्रमण हटाए हैं। विरोध के दौरान कहा गया था कि कोर्ट में रिव्यू पिटिशन लगी है, लेकिन शाम तक कोर्ट से प्रशासन को कोई डाइरेक्शन नहीं मिला है। हमारे पास सात दिन का समय है, अभी तीन दिन हुए हैं। आगे जो भी कार्यवाही होगी,उसके लिए वरिष्ठ स्तर से निर्देश मिलने पर अमल किया जाएगा।
अनिल बनवारिया, एसडीएम

-सैकड़ों आदेश न्यायालय से कलेक्ट्रेट आ रहे हैं, बार बार यहीं आ जाते हैं, कभी डोंगरपुर, कभी सिरोल पहाड़ी पर कार्यवाही की तैयारी कर लेते हैं। यहां 100 आदमी रह रहे हैं,न्यायालय ने बोला है जांच करें, कलेक्टर ने तीन को जांच में लिया है, बाकी के लोगों का क्या होगा। हटाने के लिए हमको व्यवस्थापन करना पड़ेगा। प्रशासन यह क्यों नहंी कर रहा है, रास्ता निकालना पड़ता है।
मुन्नालाल गोयल, विधायक
-उच्च न्यायालय ने शासकीय जगह पर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था, जनहित याचिका के जरिए आए इस आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि पुलिस अधीक्षक द्वारा रैवेन्यू के अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उसके बावजूद राजनीतिक दल के नेता और विधायक द्वारा किया गया विरोध शासकीय कार्य में बाधा के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना का भी प्रकरण बनता है। पूर्व में भाजपा नेता अनूप मिश्रा के विरुद्ध सराफा बाजार में कार्यवाही का विरोध करने पर प्रकरण दर्ज हो चुका है। वर्तमान में प्रशासन द्वारा कांग्रेस नेता और विधायकों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है। जबकि कानून कहता है कि न्यायालय की अवमानना और शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण तत्काल दर्ज करना चाहिये।
अवधेश तोमर, एडवोकेट
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